बीकानेर, निडर इंडिया न्यूज।


हर वर्ष 21 जून को पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। यह दिन न केवल योग के शारीरिक अभ्यास को बढ़ावा देने का अवसर है, बल्कि इसके गहन आध्यात्मिक, मानसिक और वैश्विक प्राकृतिक स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं को भी समझने का मौका है। इस वर्ष की थीम “एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” (One Earth, One Health) अत्यंत सार्थक और सामयिक है। यह विचार हमें संपूर्ण सृष्टि, प्रकृति और मानव जीवन के बीच के गहरे संबंध को समझने और संतुलन बनाने की प्रेरणा देता है।
देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैदिक काल से चली आ रही रीति व संस्कृति को अक्षुण बनाए रखने के लिए विश्व के धरातल पर अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में पूरे विश्व में योग से स्वास्थ्य सुधार की गूंज स्थापित की है। जिससे यह स्पष्ट साबित होता है की भारत विश्व गुरु था और आज भी हैं,प्रलुप्त हो रही संस्कृति को क़ायम रखने में श्री मोदी जी की देव तुल्य अहम् भूमिका है जिन्हें मैं कोटिश: नमन करती हूँ ।
भारतीय संस्कृति ने हमेशा विश्व कल्याण की कामना की है और विश्व कल्याण की कामना के साथ एक पृथ्वी,एक स्वास्थ्य की थीम पर इस 11 वे योग दिवस पर योगाभ्यास कराने का संकल्प लिया है ताकि सम्पूर्ण विश्व का धरातल स्वस्थ हो तभी हम स्वस्थ रह कर देश स्वस्थ की मंगल कामना कर सकते हैं।

योग विश्व कल्याण का सिद्ध मंत्र है जिसके द्वारा यज्ञ में भागीदारी हमारी आहुति हैं । इस आहुति में भाग ले कर मोदी मंत्र को आगे बढ़ाने में अपनी अहम् भूमिका निभाये । हमारा संस्थान राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र,गंगाशहर सदैव इस मंत्र के बीजारोपण में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करता है ।
“एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” का अर्थ:
इस थीम का मूल संदेश है कि मानव, प्रकृति और पर्यावरण – तीनों के स्वास्थ्य को एक साथ देखकर ही हम सच्चे अर्थों में समग्र स्वास्थ्य प्राप्त कर सकते हैं। जब पृथ्वी स्वस्थ होगी, तभी उस पर रहने वाला प्रत्येक जीव, प्रत्येक मनुष्य भी स्वस्थ रह सकेगा।
आज, जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, जीवनशैली संबंधी बीमारियों और मानसिक तनाव से जूझ रही है, ऐसे समय में योग ही वह माध्यम है जो हमें प्रकृति से जोड़ता है, शरीर-मन का संतुलन बनाता है और जीवन को समरसता की ओर ले जाता है।
योग: प्रकृति के साथ जुड़ने की कला
योग सिर्फ शरीर को लचीला और रोगमुक्त बनाने का अभ्यास नहीं है, बल्कि यह आत्मा को प्रकृति से जोड़ने का माध्यम भी है। योग के सिद्धांत – यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि – सभी हमें एक समग्र जीवन जीने की राह दिखाते हैं।
• प्रकृति के अनुसार जीवन: योग हमें सिखाता है कि सूरज के साथ जागो, ताजे प्राकृतिक भोजन का सेवन करो, और मन को शांत रखो।
• पर्यावरणीय संतुलन: योग मानसिक चेतना को जाग्रत करता है जिससे हम पृथ्वी के संरक्षण, जल बचाव, पेड़ लगाने जैसे कदमों को अपनाने लगते हैं।
“एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य” की भावना योग के मूल सिद्धांतों से गहराई से जुड़ी हुई है। यह दृष्टिकोण बताता है कि:
• मानसिक स्वास्थ्य: नियमित ध्यान और प्राणायाम से तनाव, चिंता, अवसाद आदि कम होते हैं।
• शारीरिक स्वास्थ्य: योग आसनों से शरीर लचीला, सक्रिय और रोग प्रतिरोधक बनता है।
• सामाजिक स्वास्थ्य: योग से सह-अस्तित्व की भावना बढ़ती है, जो सामाजिक समरसता को बढ़ावा देती है।
• पर्यावरणीय स्वास्थ्य: योग प्रकृति के प्रति सम्मान और संरक्षण की प्रेरणा देता है।
इस योग दिवस पर हमें केवल योगाभ्यास तक सीमित नहीं रहना है, बल्कि इसके गहरे संदेश को आत्मसात करना है – हमारा स्वास्थ्य पृथ्वी के स्वास्थ्य से जुड़ा है। जब हम योग से अपने शरीर और मन को स्वस्थ करते हैं, तो हम धरती मां के प्रति भी अपने कर्तव्य निभाते हैं।
इसलिए आइए, इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर संकल्प लें –
👉 प्रकृति के अनुरूप जीवन जीने का,
👉 सभी जीवों के प्रति करुणा रखने का,
👉 और योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाने का।
विश्व मंगलकामना के साथ
योग करें, स्वस्थ रहें – धरती को भी स्वस्थ बनाएं।
डॉ. वत्सला गुप्ता
योगाचार्य व चिकित्सा अधिकारी
राजस्थान प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र, गंगाशहर
बीकानेर।


