लक्ष्मीनाथजी मंदिर परिसर के पार्क में मंचित रामलीला में कई प्रसंग हुए साकार, देखने के लिए उमड़ी

बीकानेरNidarindia.com “ओ! मिथलाधिपति ये बतला, धनुवा किसन तोड़ा है, इस भरे स्वयंबर में किसने सीता से नाता जोड़ा है, अत्यन शीघ्र मुझको बतला, वरना अनर्थ-व्यर्थ होगा, यह उत्सव क्या! यह मंडप क्या! क्षण में नष्ट-भ्रष्ट होगा। भगवान परशुराम राजा जनक के दरबार में पहुंचे, तो टूटा हुआ धनुष देखकर क्रोध से आग बबुला हो उठे। राजा जनक से कहते है कि “यह धुनष किसने तोड़ दिया।
भगवान परशुराम की बात को सुनकर दरबार में मौजूद भगवान श्रीराम ने जबाव दिया “शिव धनुष तोड़ने वाला भी कोई शिव का प्यारा होगा। जिसने ऐसा अपराध किया, वो दास आपका होगा। यह दृश्य मंगलवार रात को लक्ष्मीनाथजी मंदिर परिसर के पार्क में साकार हो उठा। अवसर था रामलीला के मंचन का। इसमें सीता स्वयंवर के प्रसंग का मंचन चल रहा था, जहां पर अलग-अलग प्रांतों के राजा धनुष तोड़ने के लिए आए थे। इसमें भगवान श्रीराम भी पहुंचे थे। इस स्वयंवर में धनुष को कोई तोड़ नहीं सका। भगवान राम ने बड़ी आसानी से जब धनुष को हाथ में उठाया और तोड़ दिया। तो पूरा पंडाल जयकारों से गूंज उठा।

रामलीला में लक्ष्मण परशुराम संवाद, जनक-लक्ष्मण संवाद, रावण-बाणासुर संवाद सहित प्रसंगों को मंच पर कलाकारों ने साकार कर दिया। रामलीला के प्रसंगों को मंच पर देख कर श्रोता मंत्रमुग्द हो गए। खासकर दमदार संवादों पर श्रोताओं ने जमकर तालिया बजाई और कलाकारों की हौसला अफजाई की। रामलीला देखने के लिए बड़ी में लोग पहुंचे।
नवरात्रा के साथ ही श्री राम कला मंदिर संस्थान की ओर से लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर के संतोषी माता मंदिर पार्क में रामलीला का मंचन किया जा रहा है। रामलीला का मंचन सिद्धि विनायक गणेशजी की पूजा-अर्चना के बाद शुरू किया गया।
संस्थान के अध्यक्ष गिरीराज जोशी ने बताया कि भगवान गणेशजी का स्वरूप रवि जोशी ने धरा। वहीं राजकुमारों में जितेश पुरोहित,यशवर्धन व्यास, साहिल रंगा, नवीन बोड़ा, रावण की भूमिका कैलाश, परशुराम का स्वरूप मक्खन जोशी, राम बने गिरिराज जोशी (ललन) लक्ष्मण की भूमिका में गोपाल भादाणी, राम दत्त गौड़ सहित कलाकार भागीदारी निभा रहे है। मंगलवार को कार्यक्रम में गो सेवी देवकिशन चांड़क, जुगल किशोर राठी अतिथि के रूप में शामिल हुए।

