बीकानेरNidarindia.com कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक गोकुल प्रसाद पुरोहित की पुणयतिथि पर सोमवार शाम को जस्सूसर गेट के अंदर स्थित सेवादल कांग्रेस के कार्यालय में श्रद्धांजलि सभा रखी गई।
इसमें वक्ताओं ने गोकुल प्रसाद के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला, साथ ही उनके बताए रास्ते पर चलने का आह्वान किया। वक्ताओ ने उनसे जुडे संस्मरण सुनाए। कांग्रेस सेवादल के प्रदेश उपाध्यक्ष कमल कल्ला ने कहा कि बाल्यकाल में बुजुर्गो से उनके बारे मे खूब सुना था। सही मायने में देखा जाए तो उनकी कार्यशैली ही कांग्रेस सेवादल की विचारधारा को सार्थक करती है। आज के इस युग में कांग्रेस को सही मायने में ऐसे नेता ही उभार सकते है।
कल्ला ने कहा कि आज सोशल मीडिया का युग है, उस दौर में एक शख्स भीलवाड़ा से बीकानेर आया और विसषम परिस्थिति में स्थापित किया और विधानसभा चुनाव भी जीता। सेवादल गोकुल प्रसाद पुरोहित (बाबा) के बताए सेवा और संघर्ष के रास्ते पर चलता रहेगा। कार्यक्रम में असंगठित कामगार कर्मचारी कांग्रेस के जिला अध्यक्ष जाकीर नागौरी ने कहा कि गोकुल प्रसाद सरीखे नेता ही सच्चे समाजवादी विचारधारा को सार्थक करते थे, उपस्थित जन मानस को उनकी पहचान कराई। सेवादल के शिवशंकर हर्ष ने कहा कि गोकुल प्रसाद एक मात्र ऐसे नेता थे जिन्होंने उस जमाने के जन नेता मुरलीधर व्यास से लोहा ही नहीं लिया वरन बीकानेर सीट काफी अर्से बाद कांग्रेस की झोली में डाली। अध्यक्षता करते हुए कांग्रेस सेवादल के अध्यक्ष व रेल श्रमिक नेता अनिल व्यास ने अपना स्मरण साझा करते हुए कहा कि मजदूर हितेषी गोकुल प्रसाद पुरोहित उनके पिता के अच्छे घनिष्ठ थे। व्यास ने बताया कि जब दसवीं कक्षा पास की तो वे उनके पास गए और कहा कि नौकरी लगवाओ, तो उन्होंने तत्परता दिखाते हुए अपने साथ तांगेे में बिठाकर सार्वजनिक निर्माण विभाग के दफ्तर ले गए और उसी वक्त नौकरी लगवा दी।
व्यास ने बताया कि गोकुल प्रसाद को कई मौके पर विशेष मंत्रणा करने के लिए उनके पिता के साथ बैठकर घंटो चर्चा करते थे। काग्रेस नेता विजय कुमार व्यास ने उनको सच्चा मजदूर नेता व ट्रेड यूनियनों का जनक बताया। कार्यक्रम में रईश अली, एम जहांगीर, मो. एनडी कादरी, अकरम नागोरी, असलम, आशा स्वामी , शमशाद, इंद्रजीत राठौड़, मनोज गहलोत, महबूब रंगरेज ,धनसुख आचार्य, पार्षद हाज़ी अस्लम, नजरुल इसलाम , जितेन्द्र बिस्सा, मोहित बिस्सा, मदन बोहरा, मनोज कल्ला ,दिनेश जोशी व रविन्द़ आचार्य आदि ने भागीदारी निभाई। संचालन श्याम नारायण रंगा ने किया।