प्रबोधकों में रोष : 15 साल से सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के बाद भी अध्यापक पदनाम नहीं मिला, २५ हजार प्रबोधकों का यह दर्द... - Nidar India

प्रबोधकों में रोष : 15 साल से सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के बाद भी अध्यापक पदनाम नहीं मिला, २५ हजार प्रबोधकों का यह दर्द…

बीकानेरNidarindia.com वे बीते 15 साल से राजस्थान में सरकारी विद्यालयों में बच्चोंं को पढ़ा रहे हैं लेकिन आज भी उन्हें अध्यापक नहीें कहते है। यह दर्द है उन प्रबोधकों का जिन्हें सरकार ने 2008 से सरकारी स्कूलों में लगा रखा है। करीब 25 हजार शिक्षकों को इस बात का मलाल है कि वे 15 साल से सरकारी स्कूलों में बच्चों को पढ़ा रहे हैं लेकिन सरकार उन्हे नियमित शिक्षकों के समान वेतन-भत्ते नहीं देती। तकलीफ तो यह भी है कि उन्हें अब तक प्रबोधक कह कर ही पुकारा जा रहा है। अध्यापक पदनाम तक नहीं दिया।

प्रबोधक संघ ने इस संबंध में एक बार फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और शिक्षा मंत्री बीडी कल्ला को ज्ञापन भेजा है। इसमें प्रबोधक से वरिष्ठ प्रबोधक पद पर पदोन्नत हुए कार्मिकों के पद के अनुसार दायित्व निर्धारण करने व वरिष्ठ प्रबोधक का पद नाम बदलकर वरिष्ठ अध्यापक करने सहित लेवल प्रथम (एसटीसी) प्रबोधक का पदनाम अध्यापक करने की मांग की है।

प्रदेश महामंत्री संजय कौशिक का कहना है, इस संबंध में पहले भी कई ज्ञापन दिये। संघ के प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन सिंह शेखावत के नेतृत्व में भी प्रबोधको ने अपनी मांग रखी थी और मुख्यमंत्री ने प्रबोधको की मांगो को जायज बताते हुए उन पर सैद्धांतिक सहमति दे दी थी। दो महीने से अधिक समय हो जाने के बाद भी अभी तक प्रबोधक संघ को सरकार की तरफ से कोई राहत नहीं मिल पाई है ।

घोषणा हुई, पालना नहीं …

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गत 14 जून 2021 को प्रबोधक पदोन्नति की घोषणा करते हुए 5 हजार प्रबोधको को वरिष्ठ प्रबोधक द्वितीय श्रेणी अध्यापक के समकक्ष पद पर पदौन्नत करने कि घोषणा कि थी। इसे आज तक लागू नहीं किया है।

वरिष्ठ अध्यापक पद पर हो पदोन्नति …

पदोन्नति से वंचित 5392 बीएड-बीपीएड योग्यता धारी प्रबोधको को भी वरिष्ठ अध्यापक पद पर पदोन्नति दी जावे। प्रबोधक अधिनियम में एक बार ही प्रबोधक कैडर की पदोन्नति का प्रावधान है जबकि राज्य सरकार अन्य कैडर को पांच पदोन्नति के अवसर प्रदान करती है ।

सामंत कमेटी व खेमराज कमेटी की रिपोर्ट लागू हो…

संघ से वार्ता में खेमराज कमेटी और सामंत कमेटी दोनों ने ही वेतन विसंगति कि बात मानी थी। समायोजन के समय भी प्रबोधको के साथ भेदभाव हुआ है। अनुदानित स्कूलों के शिक्षकों की भांति 2008 से पूर्व की सेवा को प्रबोधक सेवा में नही जोड़ा गया है। इससे अधिकांश प्रबोधक पूरी पेंशन से वंचित रह जाएंगे।

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