बीकानेर, निडर इंडिया न्यूज।



महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के पर्यावरण विज्ञान विभाग की ओर से इन्टरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑन इमर्जिंग चेलेन्जेज इन सस्टेनेबल डवलपमेन्ट एण्डएन्वायरमेन्टल कंजर्वेशन (ICE CSDEC-2025 ) तीन दिवसीय संगोष्ठी का आगाज रविवार से हुआ। इस मौके पर कुलगुरू आचार्य मनोज दीक्षित ने उद्घाटन किया।आचार्य दीक्षित ने बताया कि वर्तमान् परिदृश्य में सतत् विकास की अवधारणा एवं पर्यावरण संरक्षण के लिये हम आने वाली पीढ़ियों पर निर्भर नहीं रहे क्योंकि जो कुछ हम भोग रहे हैं। वह सब पीढ़ियों से उधार लिया हुआ है। समपोषणीय विकास तभी संभव है जब हम अपने आस-पास के परिवेश के स्थानीय संसाधनों का उपभोग वर्तमान् आवश्यकताओं के साथ भविष्य की चिंता को ध्यान में रखते हुए न्यायोचित तरीके से उपभोग किया जावें।
उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें अर्थव्यवस्था व पर्यावरण में एक सामंजस्य स्थापित करना पड़ेगा, अन्यथा तमाम् जरूरी संसाधन एक समय की बात हो जायेगे। अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के चेयरपर्सन प्रो. अनिल कुमार छंगाणी, विभागाध्यक्ष, पर्यावरण विज्ञान विभागने तीन दिवसीय कार्यक्रम की रूपरेखा में बताया कि संगोष्ठी में 1850 से अधिक रजिस्ट्रेशन 20 देशों के प्रतिभागियों द्वारा किये गये जो कि इस अवधारणा के प्रति सकारात्मक सोच का विषय है। संगोष्ठी के विशिष्ठ अतिथि के रूप में अयोध्या प्रसाद गौड़ ने बताया कि केयर्न एनर्जी की ओर से बाड़मेर क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक एवं गैर सरकारी संगठनों के साथ काफी काम किया जा रहा है, इसमें महिला कार्मिकों की भागीदारी सराहनीय है।
इसी क्रम में महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय से करार करके विशेष प्रकार के पाठ्यक्रम चलाये जायेंगे जिनसे संभाग के विद्यार्थियों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके। अन्य विशिष्ट अतिथि के रूप में गहरी फाउण्डेशन, जोधपुर के बलदेव गोरा ने सहजो, खेजड़ी अभियान के बारे में विस्तृत रूप से बताया कि किस प्रकार खेजड़ी हमारे थार मरूस्थल के लिये वरदान है।



मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. जोनाथन हॉल, ईस्ट मिशीगन यूनिवर्सिटी, अमेरिका से पधारे जिन्होने अतर्विषयक पारिस्थिति का पर्यावरण संरक्षण में योगदान पर अपनी विस्तृत बात रखी। इन्होनें बताया कि भारत में जो मानव, वन्यजीव का सहचर का सामंजस्य है वह दुनिया में सबसे बेहतरीन है, इसलिये भारतवर्ष में जैव विविधता बाहुल्य है। मंच का संचालन डॉ. ममता शर्मा ने किया। डॉ. बिट्ठल बिस्सा ने धन्यवाद प्रेषित किया। इस अवसर पर पर्यावरण विज्ञान विभाग के प्रो. राजाराम चोयल, डॉ अनिल दुलार, डॉ. प्रभुदान चारण, डॉ गौतम मेघवंशी, डॉ. अभिषेक वशिष्ठ, डॉ प्रकाश सारण , डॉ. धुरेन्द्र सिंह, प्रो. राजेन्द्र पुरोहित, प्रो. प्रताप सिंह, प्रो. शशि शर्मा, प्रो. महेन्द्र ढाका, डॉ. रामचंद्र लेधा, प्रो. नरेन्द्र भोजक आदि उपस्थित रहे।
द्वितीय तकनीकी सत्र में डूंगर कॉलेज के प्रो. नरेन्द्र भोजक की ओर से अपने शोध पत्र द्वारा ग्रीन ऑडिट द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में गुणवत्ता के साथ-साथ किस प्रकार से पर्यावरणीय संरक्षण किया जा सकता है विस्तृत रूप से बताया।
द्वितीय तकनीकी सत्र में अन्य वक्ता प्रो. राजेन्द्र पुरोहित ने बताया कि हर्बल ड्रग्स द्वारा किया प्रकार से हमारे शरीर को रेडिएशन से बचाया जा सकता है जो कि हमारे दैनिक उपभोग का एक हिस्सा है। यह हर्बल ड्रग्स हमारे शरीर में पनपने वाले कर्क रोग को भी कम कर सकता है।
द्वितीय तकनीकी सत्र में प्रो. प्रताप सिंह ने बदलती रेगिस्तानी जैवविविधता पर विवेचनात्मक शोध प्रस्तुत किया। उन्होनें बताया कि हमे समय रहते विभिन्न प्रावधानों के तहत् मरूस्थलीय जैव विविधता का संरक्षण करना जरूरी है क्योंकि थार मरूस्थल दुनिया का एक भंगुर पारिस्थितिकीय तंत्र है।
