बीकानेरNidarindia.com
‘कलकते हालो गवरैयों री मौजां बीकानेर में….मुम्बई हालो गवरैयों री…खेलळ दो गण्गाौर भंवर म्हानें पूजण दो…गगन कोटा सूं गवरल उतर री रे…सरीखे गणगौर के भजन इन दिनों बीकानेर की फिजाओं में गूंज रहे हैं।

बाली गणगौर का पूजन चल रहा है। इसकी पूर्णाहुति के साथ ही विवाहिता महिलाएं धींगा गणगौर का पूजन शुरू करेगी। यह पूजन भी एक पखवाड़े तक चलेगा। बीकानेर में धुलंडी की रात सेे ही गणगौर गीत शुरू हो जाते हैं। यहां पर खास यह है कि पूरा एक माह तक पुरुष मंडलियां घर-घर जाकर गाणगौर गीतों का गुणगान करते हैं। इन दिनों यह कार्यक्रम परवान पर है।
भवशीलं कला संगम गीतों से हुआ गुजायमान…

पारीक चौक स्थित भवशीलं कला संगम परिसर सोमवार शाम को गणगौर गीतों की स्वर लहरियों से गूंजायमान हो गया। अवसर था बाली गणगौर माता के पूजन का। जहां पर बड़ी संख्या में आसपास पड़ौस की बालिकाओं ने अपनी गणगौर प्रतिमाओं को एक स्थान पर ही पूजन किया, पानी पिलाने और बासा देने की रस्म निभाई।
इस मौके पर शहर के ख्यातिनाम गणगौर गायन मंडली बीआर सूरदासाणी और पार्टी के सदस्यों ने गणगौर गीतों के गुणगान से समा बांध दिया। नगाड़ों पर गोविन्द पुरोहित ने संगत की।
कलाकारों ने गणगौर के पारम्परिक भजनों की मधुर प्रस्तुति से सभी को मंत्रमुग्द कर दिया। कला संगम की और से गिरधर लाल तंवर, ऋषि कुमार तंवर, घनश्याम, दामोदर सहित सदस्यों ने कलाकारों को साफा पहनाकर उनका अभिनंदन किया।

