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“मैं कौन तुम्हारी होती हूं, क्यों मुझे सताने आए हो, मन में स्वार्थ रखते हो, बातों से मनाने आए हो…नाराज रानी कैकई ने राजा दशरथ को जबाव दिया। यह बात कैकई ने उस समय कही जब राजा दशरथ कोप भवन में बैठी रानी कैकई को मनाने आए थे, इससे पहले की राजा बोलते वो फिर से बोल पड़ी-मैं दो वर मांगती हूं। सच्चे हो रघुवंशी तो पथ से विचलित नहीं होना। कैकई ने कहा-पहला वर अपने भरत लाल का राज चाहती हूं, दूसरा वर जो मांगा है वो राम के लिए 14 वर्ष का वनवास मांगती हूं।
कैकई की बातें सुनकर राजा दशरथ एक बारगी सन रह गए, फिर थोड़े संभले और भारी मन से बोले-मैं रघुवंशी हूं और सौगंध राम की खाता हूं, वर जो तूने मांगे हैं उससे विचलित नहीं होऊंगा…इसके बाद जब राम वनवास जाने की तैयारी करने लगे तो, अयोध्या नगर के वाशिंदों के चेहरों पर मायुसी छा गई। था तो यह रामलीला के मंचन में एक प्रसंग का दृश्य, लेकिन पंड़ाल में बैठे प्रत्येक श्रोता की आंखे भर आई। हर कोई भाव विभोर होकर राम-लक्ष्मण और जानकी ओर टकटकी लगाए देखने लगा। लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर के संतोषी माता पार्क में मंचित रामलीला में बुधवार रात को कई प्रसंगों को मंच पर साकार किया गया।
कलाकरों के दमदार अभिनय ने सभी को मंत्रमुग्द कर दिया। साथ ही हर प्रसंग पर संगीत के तालमेल ने हर दृश्य में प्राण फूंक दिए। श्रीराम कला मंदिर की और से आयोजित रामलीला में बुधवार रात को मंथरा.कैकई संवाद, दशरथ.कैकई संवाद, राम वनवास सहित प्रसंगों का मंचन किया गया। कला मंदिर के अध्यक्ष गिरीराज जोशी ने बताया कि बुधवार को रामलीला के दौरान रामरतन धारणिया, जेठानंद व्यास, शैलेष गुप्ता अतिथि के रूप में शामिल हुए। रामलीला का मंचन नवरात्रा से चल रहा है।


