साहित्य : गुमेज व्याख्यानमाला शृंखला, साधारण को असाधरण कहना ही व्यंग्य : शर्मा - Nidar India

साहित्य : गुमेज व्याख्यानमाला शृंखला, साधारण को असाधरण कहना ही व्यंग्य : शर्मा

बीकानेरNidarindia.com जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के राजस्थानी विभाग की ओर से ऑनलाइन फेसबुक लाइव पेज पर गुमेज व्याख्यानमाला श्रृंखला आयोजित की जा रही है।

इसके तहत राजस्थानी भाषा के व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि साधारण को असाधारण रूप से कहना ही व्यंग्य की विशेषता है और उसमें ही व्यंग्य की सार्थकता है। राजस्थानी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. मीनाक्षी बोराणा ने बताया कि व्याख्यानमाला में बुलाकी शर्मा ने आधुनिक राजस्थानी व्यंग्य विधा पर विचार रखें, उन्होंने कि आज की सबसे चर्चित विधा व्यंग्य है।

जिसमें तात्कालिक घटनाओं को व्यंग्य के रूप में सामने लाया जा सकता है, और व्यंग्य इसीलिए भी पसंद किए जाते हैं क्योंकि इसमें विसंगतियां, विरोधाभास, दोगलापन आदि उजागर होते हैं।

उन्होंने कहा कि व्यंग्य में साधारण बात को असाधारण रूप से कहने का सामर्थ्य होता है, और वही व्यंग्य मजबूत बनता है। व्यंग्य का मतलब व्यंजना है। व्यंग्यकार ज्यादा कारुणिक होता है, समाज को बदलना चाहता है, समाज में सकारात्मक सोच रखता है, वह सभी के कल्याण की कामना करता है, समाज के हित चिंतन की बात करता है,। उसमें सत्यम शिवम सुंदरम का भाव होता है। वह हमेशा सत्ता का विरोधी होता है, प्रतिपक्ष में खड़ा होता है। सत्ता और व्यवस्थाओं की कमियों को व्यंग्य के माध्यम से उजागर किया जाता है।

बुलाकी शर्मा ने बताया कि राजस्थानी भाषा में व्यंग्य की छोटी-छोटी रचनाएं तो बहुत पहले से ही सामने आती रही है, पत्र-पत्रिकाओं में छपती भी रही है, लेकिन मूल व्यंग्य पर काम बहुत बाद में शुरू हुआ था। शुरुआती जो पत्र पत्रिकाएं निकलती थी वह प्रवासी राजस्थानियों ने निकाली जो कि राजस्थान के बाहर से निकलती थी और उसमें भी बहुत ही कम व्यंग्य रचनाएं थी जो कि ललित निबंध के रूप में छपी सामने आई।

शर्मा ने बताया कि श्रीमंतकुमार व्यास, नरोत्तम दास स्वामी, युगल आदि के सम्पादन में 1946-47 के आस पास बहुत सी पत्रिकाओं में कुछ व्यंग्यपरक रचनाएं सामने आईं जिसमें मुरलीधर व्यास राजस्थानी, डॉ मनोहर शर्मा, कृष्ण गोपाल शर्मा, श्रीलाल नथमल जोशी आदि की व्यंग्य प्रधान वहनाएं उल्लेखनीय हैं । उन्होंने कहा कि अन्य विधाओं को देखते हुए उस समय व्यंग्य विधा पर बहुत ही कम लिखा गया है।

बुलाकी शर्मा ने कहा कि व्यंग्य विधा में और भी कई रचनाकार अपनी लेखनी के माध्यम से रचनाएँ लिख रहे हैं उनमें त्रिलोक गोयल, रमेश मयंक, रामजीलाल घोड़ेला, अंबिकादत्त, ओम नागर, दुलाराम सारण, अतुल कनक आदि ऐसे नाम हैं जो कि सटीक और कुछ न कुछ सीख देने वाले व्यंग्य सामने ला रहे हैं।

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