जयपुरNidarindia.com सरकारी कार्मिक घसूखोरी से बाज नहीं आ रहे हैं। प्रदेश में लगातार इसके मामले बढ़ते जा रहे हैं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो इस तरह के घूसखोरों के नकेल डालने के भरसक प्रयास कर रहे हैं, इसके बावजूद मामले सामने आ रहे हैं।
बुधवार को एसीबी मुख्यालय के निर्देश पर सवाईमाधोपुर और टोंक इकाई की ओर से कार्रवाई की गई। इसमें तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। इसमें सवाईमाधोपुर में एक परिवादी की दो अलग-अलग शिकायतों पर कार्रवाई की गई। इसमें बामनवास पंचायत समिति के सहायक अभियंता महेश चंद गोयल, इसी पंचायत समिति के रिंकेश गर्ग ग्राम विकास अधिकारी ग्राम पंचायत टूण्डिला को परिवादी से 60 हजार रूपए की रिश्वत लेते हुए और रमेश चंद सोनी गिरदावर अतिरिक्त ऑफिस कानूनगो, भू-अभिलेख तहसील बामनवास को परिवादी से 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के महानिदेशक भगवान लाल सोनी के अनुसार एसीबी की सवाईमाधोपुर इकाई को परिवादी की ओर से शिकायत दी गई कि उसने विभिन्न कार्य कराए थे, इन फाइलों को पास करने की एवज में महेश चंद गोयल सहायक अभियंता और रिकेश गर्ग ग्राम विकास अधिकारी ने प्रत्येक फाइल के 7 हजार रुपए के हिसाब से 20 फाइलों के 1 लाख 40 हजार और बस दुर्घटना में मुख्यमंत्री राहत कोष से सहायता राशि दिलवाने की एवज में कुल 42 फाईलों को पास करने की एवज में रमेश चंद सोनी गिरदावर अतिरिक्त ऑफिस कानूनगो, भू-अभिलेख ने 20 हजार रुपए की रिश्वत राशि मांगी।
इसके बाद एसीबी जयपुर के उपमहानिरीक्षक पुलिस डॉ. विष्णुकान्त के सुपरवीजन में एसीबी, सवाईमाधोपुर इकाई के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुरेन्द्र कुमार शर्मा के नेतृत्व में शिकायतों का सत्यापन किया गया, बुधवार को उनकी टीम ने कार्रवाई करते हुए रमेश चंद सोनी, निवासी सुनार मोहल्ला, बामनवास को परिवादी से 20 हजार रुपए की रिश्वत राशि लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है।
इसी प्रकार एसीबी टोंक इकाई के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेश आर्य के नेतृत्व में उनकी टीम ने कार्रवाई करते हुए महेश चंद गोयल निवासी गोविन्दा कॉलोनी, गोपालपुरा बाईपास, जयपुर, ग्राम विकास अधिकारी रिंकेश गर्ग निवासी एच. पी. गैस एजेन्सी के पीछे, गंगापुरसिटी को परिवादी से 60 हजार रुपए की रिश्वत राशि लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है।
एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक दिनेश एमएन के निर्देशन में आरोपियों से पूछताछ जारी है। एसीबी की ओर से मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्तर्गत प्रकरण दर्ज कर अग्रिम अनुसंधान किया जाएगा।