बीकानेरNidarindia.com राजस्थानी को मान्यता दिलाने को लेकर एक अर्से से प्रयास चल रहे हैं। बच्चों की प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा राजस्थानी में होनी चाहिए। इसके लिए राजस्थानी युवा लेखक संघ कई बार मांग उठा चुका है।
संघ प्रदेशाध्यक्ष ने इस बार सीएम अशोक गहलोत और शिक्षा मंत्री डॉ.बीडी कल्ला को इस संबंध में पत्र लिखा है, इसके जरिए बताया गया है कि नई शिक्षा नीति के चलते एवं विश्व स्तर पर भाषा वैज्ञानिकों के सर्वमान्य निर्णय के अनुसार बालकों को प्राथमिक शिक्षा उनकी मातृभाषा में ही देनी चाहिए। राजस्थानी मान्यता आंदोलन के प्रवर्तक कमल रंगा ने मांग की है कि प्रदेश में प्राथमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम मातृभाषा राजस्थानी में हो। इसके लिए राज्य स्तर शीघ्र निर्णय लिया जाना चाहिए।
रंगा के अनुसार देश में इस बाबत कार्यवाही शुरू हो गयी है और उत्तराखंड राज्य देश का पहला ऐसा राज्य बन गया जिसने अपने प्रदेश में बालकों के हित में प्राथमिक शिक्षा प्रदेश की मातृभाषा में देने का निर्णय ले लिया है। देश के अन्य प्रदेशों में भी कार्यवाही चल रही है। रंगा ने कहा कि राजस्थान सरकार की ओर से भी जब वर्तमान में जन लोककल्याणकारी कई निर्णय देश में प्रथम पहल करते हुए लिए है। ऐसी स्थिति में भाषा जैसे संवेदनशील विषय एवं बालक ही भविष्य है उनके उज्जवल भविष्य के लिए इस बाबत शीघ्र निर्णय सरकार को लेना चाहिए।
दूसरी राजभाषा बने…
रंगा ने राजस्थानी भाषा को प्रदेश की दूसरी राजभाषा बनाने की मांग एक बार फिर से उठाई है। रंगा ने कहा है कि इसके लिए भारतीय संविधान में स्पष्ट रूप से विधिक प्रावधान है। ऐसे में किसी भी प्रदेश में एक नहीं दो से अधिक भी राजभाषा बन सकती है। देश में कई प्रदेशों में एक से अधिक प्रदेश की राज भाषाएं है।