धर्म-आस्था : जीवन में संयम है जरूरी : महाश्रमण - Nidar India

धर्म-आस्था : जीवन में संयम है जरूरी : महाश्रमण

बीकानेरNidarindia.com आचार्य महाश्रमण इन दिनों बीकानेर प्रवास पर है। सोमवार को कोचरों के चौक में जैनम जयति शासनम विषय पर प्रवचन हुआ। इसमें उन्होंने कहा कि जीवन में संयम बरतना जरूरी है।

मनुष्य को इस साधना का पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि साधु को गृहस्थ की कामना करना थोड़े के लिए बहुत को गंवाने के समान है। यह पांच महाव्रत जिसको ये मिल जाते हैं, उनके सामने संसार के आप गृहस्थों के जो हीरे हैं, वो तो बहुत ही अल्पमहत्व या अमहत्व वाले बन सकते हैं। थोड़े से सांसारिक आकर्षण में आकर इस संयम रूपी राज्य को खो दे, थोड़े के लिए बहुत को खोना हो सकता है। कोई साधु यह सोच ले कि वह साधना कर रहा है, इसका फल से आगे के जन्मों में सम्राट बन जाऊं। आचार्य ने कहा कि चारित्रिक आत्माओं का चारित्र है, वो अमूल्य चीज है। यह अमूल्य चीज कहीं चली ना जाए, कहीं गुम ना हो जाए, इसकी सुरक्षा के प्रति हम चारित्रिक आत्माओं को जागरूक रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि गृहस्थ लोग जो आप हैं, वो भी कई बार थोड़े के लिए बहुत को खोने की सोच सकते हैं। गृहस्थ को भी संयम साधना का पालना करना चाहिए।

अहिंसा जीवन में हो, ईमानदारी हो, संयम हो यह प्रयास रहना चाहिए। आज साधु-साध्वियां विशेष से शामिल हुए हैं। महाश्रमण ने सभी मौजूद साधु-साध्वियों को पांच महाव्रत, पांच समिति और तीन गुप्ति की अखण्ड अराधना करने का आदेश दिया। प्रवचन के बाद आचार्य श्री ने सभी साधु-साध्वियों से संघ के नियमों का वाचन करवाया और संघ के प्रति निष्ठा का वचन दिलाया।
इस अवसर पर सभी संतो और श्रमणियों, श्रमणी मधुर प्रज्ञा, दिनेश मुनि आदि ने जिझासा रखी, जिसका समाधान आचार्य ने बताया।

इन्होंने दी प्रस्तुतियां..

श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष पदम बोथरा ने बताया कि आचार्य महाश्रमण के शहर आगमन और प्रवचन देकर उत्साहवद्र्धन करने पर तेरापंथ किशोर मंडल के भरत नोलखा ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। वहीं संजय ने Ó हर बार तेरे दर पर, तुझे सीस नवाऊंगा, गुरुवर महाश्रमण सुन लो, आपकी महिमा गाऊंगा Ó प्रवीण सेठिया ने ‘वन्दन है शत-शत वन्दन है Ó सुषमा बोथरा एवं उनकी टीम ने ‘ बीकानेर धन्य हुआ गुरुचरण की धूल पाकरÓ भाव भरा गीत प्रस्तुत किया। सुरपत बोथरा ने स्वागत भाषण दिया। श्री जैन पब्लिक स्कूल के अध्यक्ष विजय कोचर, जितेन्द्र कोचर ने इसे एतिहासिक क्षण बताया। कार्यक्रम में श्री रतन नेत्र ज्योति संस्थान के बाबूलाल महात्मा, अणुव्रत समिति के झंवरलाल गोलछा ने भी संस्था के सामाजिक कार्यों से आचार्य को अवगत कराया। विनोद बाफना, सुरेन्द्र कोचर, सुमित कोचर सहित सदस्यों की टीम ने व्यवस्थाएं संभाली

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