बीकानेरNidarIndia.com हीरो ऑफ कंचनजंगा से विख्यात देश के सर्वश्रेष्ठ पर्वतारोहियों में शामिल कीर्ति चक्र, सेना पदक और विशिष्ट सेवा पदक से सम्मानित कर्नल प्रेमचंद डोगरा के निधन पर बीकानेर के पर्वतारोहियों में शोक की लहर दौड़ गई। वे 87 वर्ष के थे, कर्नल प्रेमचंद स्नो टाइगर के नाम से भी जाने थे।
पर्वतारोही आरके शर्मा के अनुसार लाहौल स्फिति के लिंडर गांव में जन्में कर्नल प्रेम चंद का बीकानेर से भी गहरा रिश्ता रहा है। एवरेस्ट अभियान 1984 व 1985 से जुड़े कर्नल प्रेमचंद बीकानेर के पर्वतारोही मगन बिस्सा के गुरू रहे है और वर्ष 1986 में बीकानेर के तीन लापता पर्वतारोही अरविन्द बोड़ा, भानू सोनी व सूर्य प्रकाश सुथार के लापता होने की सूचना मिलते ही कर्नल प्रेमचंद ही पहले व्यक्ति थे जो तुरंत मनाली से रात को मेक्लोडगंज पहुंचे और तीनों पर्वतारोहियों की तलाश शुरू कराई, जब कोई सुराग नहीं लगा तो उन्होंने अपने अनुभव से बता दिया था कि सर्वाइवल मुश्किल है।
बीकानेर के 1984 के एवरेस्ट आधार शिविर अभियान दल के सदस्यों ने बेस केम्प में उनसे भेंट की और उन्होंने गर्मजोशी के साथ बीकानेर के पर्वतारोहियों का स्वागत किया था। बीकानेर के साहसियों से उनका व्यक्तिगत परिचय रहा और उनके कई शिष्य पर्वतारोहण में नाम कमा रहे है । देश के सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा शिखर के आरोहण करने वाले पहले पर्वतारोही कर्नल प्रेमचंद थे जिन्होने 1977 में सबसे दुरूह मार्ग से यह शिखर छू लिया था। संवेदना जताने वालों में सचिव आर के शर्मा, डा. सुषमा बिस्सा, महेश भोजक, अशोक कुवेरा, नरेश अग्रवाल, ओजस्वी बिस्सा सहित पायोनियर्स ने अपने अपने अनुभव साझा किए।