आस्था : कोलकाता महानगर में होगा श्री हरिहर हनुमंत महायज्ञ, आयोजन को लेकर मंगलवार को सियाणा भैरव का किया जाएगा पूजन - Nidar India

आस्था : कोलकाता महानगर में होगा श्री हरिहर हनुमंत महायज्ञ, आयोजन को लेकर मंगलवार को सियाणा भैरव का किया जाएगा पूजन

बीकानेर, निडर इंडिया न्यूज।

पंडित गोरखा महाराज ओझा वेद प्रचार संस्थान के तत्ववधान में कोलकाता महानगर में धार्मिक अनुष्ठान होने जा रहा है। आयोजन से जुड़े कोलकाता प्रवासी याज्ञिक सम्राट पंड़ित देवी प्रसाद ओझा(झालापट्‌टा मंडल) ने बताया कि यह आयोजन हावड़ा के लिलुआ के शांति नगर ग्राउंड में 4 से 11 जनवरी तक होगा। इसमें श्रीमद् भागवत कथा भी होगी। श्री हरिहर हनुमंत महायज्ञ
21 कुंडात्मक, सपाद कोटि जपात्मक होगा।

सोमवार को याज्ञिक सम्राट पंड़ित देवी प्रसाद ओझा के सान्निय में कोलकाता से आए समाज सेवी संजू बर्मन और उनकी धर्मपत्नी सुनिता बर्मन ने गायत्री उपासक पंड़ित जुगल किशोर ओझा(पुजारी बाबा) को गायत्री मंदिर पहुंचकर श्री हरिहर हनुमंत महायज्ञ में पधारने का निमंत्रण दिया। साथ ही ख्यातिनाम ज्योतिषाचार्य पंडित अशोक ओझा (राजा )को विशेष आमंत्रित किया गया।

महायज्ञ को लेकर मंगलवार को सियाणा भैरव का होगा पूजन

श्री हरिहर हनुमंत महायज्ञ के आयोजन को लेकर मंगलवार को सियाणा धाम में भैरव बाबा का पूजन होगा। सियाणा धाम पूजन के लिए बीकानेर पहुंचे पंड़ित ओझा ने बताया कि भैरव बाबा का पूजन मंगलवार रात्रि को सियाणा धाम में किया जाएगा। इसमें  कोलकाता के सामाजिक कार्यकर्ता और युवा नेता संजू बर्मन और उनकी धर्मपत्नी सुनिता बर्मन यजमान के रूप में शामिल होंगे। इस दौरान पंड़ित जयश्री कृष्णा छंगाणी, जेठमल रंगा, बाली ओझा, अशोक कुमार ओझा चंदन छंगाणी, नरेश सोनी, राज दम्माणी सहित श्रद्धालु लोग मौजूद रहेंगे।

यज्ञ वह दिव्य सेतु है जो मनुष्य को परमात्मा से जोड़ता है…

पंड़ित देवी प्रसाद ओझा के अनुसार यज्ञ पुरुष स्वयं भगवान विष्णु का रूप हैं—“यज्ञो वै विष्णुः”—और जब कोई भक्त श्रद्धा, शुद्ध मन तथा संकल्प पूर्वक यज्ञ में सम्मिलित होता है, तब वह केवल हवन नहीं करता, वह अपनी समस्त विकृतियों को अग्नि में समर्पित कर अंतःकरण को निर्मल करता है।
कलियुग का अंधकार तभी छटता है जब यज्ञ की लौ प्रज्वलित होती है।
यज्ञ से मन पवित्र होता है, बुद्धि निर्मल होती है, हृदय करुणामय बनता है और जीवन में धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष—चारों पुरुषार्थ सहज प्राप्त होते हैं।
यज्ञ मनोकामनाएँ पूर्ण करता है क्योंकि वह इच्छा को ईश्वर की इच्छा में समर्पित कर देता है।
यज्ञ वातावरण को शुद्ध करता है और आत्मा को संस्कारित करता है। यज्ञशाला की परिक्रमा मात्र से अनेक जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं।

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