स्वास्थ्य : बिना चीर-फाड़ के हुआ वॉल्व प्रत्यारोपण, हल्दीराम हार्ट हॉस्पिटल के चिकित्सकों को मिली सफलता - Nidar India

स्वास्थ्य : बिना चीर-फाड़ के हुआ वॉल्व प्रत्यारोपण, हल्दीराम हार्ट हॉस्पिटल के चिकित्सकों को मिली सफलता

बीकानेर, निडर इंडिया न्यूज। 

बीकानेर के हल्दीराम हार्ट हॉस्पिटल में दो अति गंभीर रोगियों के एंजियोग्राफी के माध्यम से  वॉल्व प्रत्यारोपण (टी.ए.वी.आर) किया गया। यह मरीज सीवियर एओर्टिक स्टेनोसिस (वॉल्व में सिकुड़न) की गंभीर बीमारी से पीड़ित थे, इन मरीजों को वॉल्व बदलने की आवश्यकता थी, लेकिन अन्य अति गंभीर बीमारी होने के कारण, इन मरीजों का ओपन हार्ट सर्जरी से वॉल्व बदलना सम्भव नहीं था ।

हल्दीराम हार्ट हॉस्पिटल की कार्डियो टीम जिसमें विभागाध्यक्ष डॉ. पिंटू नाहटा, डॉ. दिनेश चौधरी, डॉ. सुनील बुडानिया, डॉ. रामगोपाल कुमावत, डॉ. राजवीर बेनीवाल, लैब तकनीशियन राकेश सोलंकी, पंकज तंवर, नर्सिंग इंचार्ज ताहिरा बानो, सीताराम सर्जरी करने वाली टीम में शामिल थे। इस दौरान निश्चेतन विभाग का विशेष सहयोग रहा।

उपरोक्त वॉल्व प्रत्यारोपण जयपुर से राजस्थान हॉस्पिटल के डॉ. रवींद्र राव के निर्देशन में किया गया । इस जटिल एवं अत्याधुनिक प्रोसीजर का सम्पूर्ण संचालन हार्ट हॉस्पिटल के प्रभारी अधिकारी डॉ. देवेंद्र अग्रवाल के प्रबंधन से संभव हुआ।

सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एवं नियंत्रक डॉ. गुंजन सोनी और पीबीएम अधीक्षक डॉ. सुरेंद्र कुमार के सकारात्मक एवं कॉलेज से संबंधित समस्त विभागों में आने वाले मरीजों को आधुनिकतम चिकित्सा सुविधाएं मुहैया करवाने का परिणाम है।

70 वर्षीय राजेंद्र कुमार श्रीमाली की मुंह के कैंसर के उपरांत मुंह की बडी कमांडो सर्जरी हो चुकी थी।
दूसरा मरीज 57 वर्षीय नानू देवी जो कि सीवियर हार्ट फेल्योर जिसकी हार्ट की पंपिंग 20 प्रतिशत थी, इन दोनों मरीजों का ओपन हार्ट द्वारा प्रत्यारोपण संभव नहीं था।

 यह है टी.ए.वी.आर
हल्दीराम हार्ट हॉस्पिटल के विभागाध्यक्ष डॉ. पिंटू नाहटा ने बताया कि पैर की नाड़ी के माध्यम से सर्वप्रथम बेलून को प्रविष्ट करवाया जाता है और उसको एओरटा के माध्यम से संकुचित वॉल्व पर पहुंच कर चौड़ा किया जाता है, इसके बाद कृत्रिम वॉल्व को उसी माध्यम से प्रविष्ट करवा कर सिकुड़े हुए वॉल्व पर स्थापित करके फुला दिया जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप यह कृत्रिम वॉल्व स्वस्थ मानव के शरीर के वॉल्व की तरह कार्य करने लगता है, इस दौरान हार्ट से सम्बंधित लक्षण समाप्त हो जाते है।

इस चिकित्सा पद्धति की लागत बड़े प्राइवेट अस्पतालों में 18 से 25 लाख रुपए तक होती है। हार्ट हॉस्पिटल में यह उपचार आरजीएचस स्कीम के तहत निःशुल्क किया गया है।

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