बीकानेर, इंडिया न्यूज।

विकसित कृषि संकल्प अभियान के तहत स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय की ओर से शनिवार को पेमासर ग्राम पंचायत में मशरूम उत्पादन एवं मूल्य संवर्धन विषय पर किसानों के लिए प्रशिक्षण आयोजित किया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि संभागीय आयुक्त रवि कुमार सुरपुर ने कहा कि मशरूम की पोषकता को देखते हुए वर्तमान परिस्थितियों में द्वितीयक कृषि व्यवसाय में मशरूम उत्पादन महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि युवा किसान मशरूम उत्पादन से जुड़ कर आय सृजन के साथ ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के नये अवसर पैदा कर सकते हैं।
कृषि वैज्ञानिक किसानों को मशरूम उत्पादन तकनीक की विस्तार से जानकारी दें और अन्य आवश्यक सहयोग करें । संभागीय आयुक्त ने कहा कि मशरूम उत्पादों के मूल्य संवर्धन व निर्यात को बढ़ावा देने की दिशा में कार्य किया जाए। कुलगुरु डॉ.अरुण कुमार ने मशरूम का महत्व बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा मशरूम उत्पादन एवं संवर्धन प्रशिक्षण के लिए गंभीरता से कार्य किया जा रहा है। उन्होंने किसानों को विश्वविद्यालय से जुड़ने और इस संबंध में प्रशिक्षण लेने के लिए आमंत्रित किया।

डॉ.राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के मशरूम मैन के नाम जाने माने प्रोफेसर डॉ दयाराम ने किसानों को मशरूम के मूल्य संवर्धन उत्पादों व तकनीक की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने मशरूम कटलेट, मशरूम हलवा, मशरूम पकोड़ा बनाने का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया । कार्यक्रम में किसानों को मशरूम उत्पादन, बीज उत्पादन, कंपोस्ट उत्पादन और मूल्य समर्थन पर तकनीकी पक्षों की जानकारी दी गई। इस अवसर पर पेमासर गांव के सरपंच तोलाराम कूकना ने विश्वविद्यालय को यह प्रायोगिक प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
इससे पहले कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ.पीके यादव, मशरूम उत्पादन इकाई के प्रभारी अधिकारी डॉ.दाताराम से शुष्क क्षेत्र में मशरूम उत्पादन पर तकनीकी प्रशिक्षण लेने के लिए ग्रामवासियों को प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर प्रसार शिक्षा उपनिदेशक डॉ.आर के वर्मा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। प्रशिक्षण में विश्वविद्यालय की प्रसार शिक्षा निदेशक डॉ.नीना सरीन, डॉ.अशोक कुमार, डॉ.सुशील कुमार डॉ.अर्जुन लाल यादव, डॉ.आर के मीना डॉ.मनमीत कौर सहित अन्य अधिकारी स्टाफ उपस्थित रहे ।प्रगतिशील मशरूम कृषक ज्योति स्वामी ने अपने अनुभव साझा किये।
शोभासर, बदरासर एवं भरूपावा में भी शिविर आयोजित
अभियान के तहत शनिवार को शोभासर, बदरासर एवं भरूपावा गांवों में भी किसानों को उन्नत कृषि तकनीकी से जुड़ी जानकारियां दी गई। इस दौरान केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, के वैज्ञानिक डॉ. आर. के. मीणा ने खजूर, थार शोभा खेजड़ी, बेर एवं अनार जैसी शुष्क क्षेत्रीय बागवानी फसलों ,भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, क्षेत्रीय केंद्र बीकानेर के वैज्ञानिक डॉ. रामलाल जाट ने ग्वार, मोठ एवं मूंगफली की उन्नत किस्मों, पोषण प्रबंधन, बीज शोधन, जल उपयोग दक्षता , कृषि विज्ञान केंद्र, बीकानेर के कीट वैज्ञानिक डॉ. केशव मेहरा ने खरीफ फसलों और कद्दूवर्गीय सब्जियों में लगने वाले कीट और बीमारियों के रोकथाम के लिए किसानों को जानकारी प्रदान की । कृषि विभाग, बीकानेर के कृषि अधिकारी रमेश चंद्र भाम्भू ने विभागीय योजनाओं की जानकारी दी।
निष्ठा के साथ कर्म करने का संकल्प : “निडर इंडिया” ने पूरा किया तीन साल का सफर, चुनौतियां का किया डटकर सामना, मिला पाठकों का सहयोग
रमेश बिस्सा
बीकानेर, निडर इंडिया न्यूज।
प्रिय पाठकों को आपको यह जानकर परम हर्ष होगा कि आज आपके अपने न्यूज पोर्टल ” निडर इंडिया “ ने अपना तीन साल का सफर पूरा कर लिया है और चौथे साल में प्रवेश कर रहा है। विगत तीन साल का सफर निडर इंडिया के लिए आसान नहीं था, कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, यहां तक पहुंचने में कई बाधाएं भी आई, तकनीकी रूप से परेशानियां भी हुई, इन सबके बावजूद सुखद यह है कि आज निडर इंडिया ने अपने दृढ़ संकल्प और पूरी निष्ठा के साथ तीन साल का सफर सफलता से पूरा कर लिया है। इस पायदान तक पहुंचाने में आप पाठकों की ही बड़ी अहम भागीदारी रही है। आपका स्नेह और प्रेम ही है कि आज के प्रतिस्पर्धा भरे इस युग में निडर इंडिया अपने नाम को साकार करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा है। चौथे साल में प्रवेश कराने के लिए पाठकों का हदृय की गहराइयों से आभार। उम्मीद करता हूं आपका स्नेह यूं ही आगे भी बना रहेगा।
बदल रही है पत्रकारिता
आज पत्रकारिता के मायने, उसका स्वरूप ही बदल रहा है। यह सही है कि साइबर युग है, डिजिटल का जमना है, ऐसे में मीडिया थोड़ा बदलाव करना तो जरूर है। लेकिन बीते दशकों में पत्रकारिता में कई तरह के बदलाव सामने आए है। मैने अपनी पत्रकारिता का सफर दैनिक लोकमत 1996 में शुरू कर दिया था, वह दौर प्रिंट मीडिया का था। तो उसमें काम करने का अपना एक अनुठा अनुभव था। उस समय एक मिशन के रूप में पत्रकारिता की बारिकियां सिखने का एक जुनून था, मन में उत्साह भी था। उस समय के अखबारों में जो काम किया, वो एक नौकरी की तरह नहीं होकर एक पाठशाला की तरह हुआ करता था। आज सबकुछ बदल सा गया है। पहले जहां पत्रकारिता की नींव रखने के लिए अखबारों में जाकर अुनभव लेना पड़ता था, आज हाई टेक जमाना है, आज सोशल मीडिया के कई तरह के प्लेटफार्म सामने है, जिनके जरिए कोई भी इस क्षेत्र में आज सकता है। हो भी यही रहा है आज मोबाइल पर वीडियाे बनाकर सीधे ही पत्रकार बन रहे हैं, हलांकि युवाओं का पत्रकारिता के प्रति लगाव होना अच्छे संकेत है, फिर भी पत्रकार बनने के लिए जो नींव है, वहां तक तो जाना ही चाहिए। मैंने वर्ष 2020 तक लगातार प्रिंट मीडिया में काम करते हुए पत्रकारिता की बारिकियां और उसकी गंभीरता को समझा और परखा है। इसके बाद ही न्यूज पोर्टल की कल्पना को साकार रूप दिया था।
कइयों से मिला मार्गदर्शन…
निडर इंडिया के तीन साल के सफर में कई वरिष्ठ साथियों का सानिध्य मिला है। तो कई युवा साथियों ने नई तकनीकी की बारिकियां सिखाने में हमेशा ही सहयोग किया है। आशा करता हूं आगे भी साथियों का सहयोग मिलता रहेगा। उसी ताकत के बल पर निडर इंडिया यूं ही पत्रकारिता के चुनौतियों को स्वीकार कर इस कठिन डगर पर आगे बढ़ता रहेगा। इसी आशा-उम्मीद और संकल्प के साथ एक बार फिर से सभी पाठकों, सहयोगियों और पत्रकार साथियों का दिल से आभार।
सम्पादक, निडर इंडिया न्यूज।

