बीकानेरवासियों ने नगर का 538 वां स्थापना दिवस, पतंगोंं से अटा आसमान, प्रवासी भी हुए शामिल, जूनागढ़ से चंदा उड़ाने की निभाई परम्परा
बीकानेर, निडर इंडिया न्यूज।




बीकानेर नगर का 538 वां स्थापना दिवस मंगलवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। परम्परा के अनुसार जूनागढ़ से चंदा उड़ाने की परम्परा को निभाया गया। गोकुल सर्किल पर रंगोली उकेरी गई। वहीं शहर में जमकर पतंगबाजी भी हुई।


पतंगों के शौकिन अल सुबह से ही छतों पर आ गए और जमकर पतंगे उड़ाई। वहीं दोपहर को तेज धूप और लू के चलते थोड़ी देर पतंगबाजी का दौर थमा, लेकिन शाम पांच बजे से फिर से आसमान अलग-अलग रंगों की पतंगों से सतरंगी हो गया। पतंगबाजी को लेकर लोगों में उत्साह और उल्हास देखते ही बन रहा था। लोगों ने अपनी-अपनी छतों पर गीत-संगीत के लिए डीजे, स्पीकर लगाकर पतंगबाजी का लुत्फ उठाया। वही शहर में सड़कों पर सन्नाटा रहा। लोग छताों पर रहे, शाम ढलने के बाद लोगों ने आतिशबाजी भी की। इसके बाद परम्परा के अनुसार बाजरे से बना खीचड़ा और इमली के पानी(आमली) का स्वाद लिया। बीकानेर में अक्षय तृतीय पर बुधवार को भी जमकर पतंगबाजी होगी।
प्रवासियों ने उठाया लुत्फ : अर्से बाद आए, सचमुच अनुठा अनुभव है : चांड़क

नगर स्थापना दिवस पर दूर-दराज के महानगरों में रहने वाले कई प्रवासी भी इस बार बीकानेर पहुंचे है। कई लोग विवाह समारोह में शरिक होने के लिए आए है, लेकिन इस मौक पर इस बार नगर का स्थापना दिवस होने के कारण प्रवासियों ने भी बीकानेर में पतंगबाजी और खीचड़े का जमकर लुत्फ उठाया।

उड़ीसा से अपने परिवार सहित बीकानेर के समीपवर्ती गांव में एक विवाह समारोह में शामिल होने के लिए आए कैलाश चांड़क और उषा चांड़क ने निडर इंडिया को बताया कि वो आए तो शादी में है, लेकिन एक अर्से बाद इस बार नगर के स्थापना दिवस का अवसर है, तो बीकानेर में पतंगबाजी का आनंद लेने के लिए आए है। हलांकि शादी समीप के गांव में है, लेकिन वो शाम ढलने के बाद वहां गए। कैलाश चांड़क ने बताया कि बीते एक लंबे अर्से से कभी ऐसा मौका आया ही नहीं कि नगर स्थापना के दिन बीकानेर आए। ऐसे में इस बार मन में बड़ी खुशी है। उषा चांड़क ने बताया कि अपने नगर की मिट्टी की खुशबू ही निराली होती है, फिर बात जब बीकाणा की हो तो कहना ही क्या है, विश्व में यह अपने आप में एक अनुठा शहर है।
बार-बार खींच लाती है यहां की संस्कृति : बर्मन
वहीं कोलकाता प्रवासी समाज सेवी और कोड़मदेसर भैरव बाबा के भक्त स्वपन बर्मन और समाजसेवी नारायण भूतड़ा भी इस बार नगर स्थापना दिवस पर बीकानेर में आए है। बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि वो भी एक विवाह समारोह में शरिक होने के लिए आए थे, लेकिन नगर स्थापना दिवस होने के कारण आज यहां पर पतंगबाजी का लुत्फ उठाया है। रात को विवाह समारोह में शामिल होंगे। स्वपन बर्मन ने बताया कि बीकानेर की धरा संस्कृति से लबरेज है। यहां ऐतिहासिक महत्व की हवेलियां, इमारते, महल तो अपने आप में खास है ही, साथ ही खास है यहां के लोगों का अपनापन। यहां बड़ा अपनत्व सा दिखता है। फिर बीकानेर की बोली, यहां की अलहदा जीवन शैली, आतिथित्य सत्कार लाजवाब है। यही वजह है कि यह शहर बार-बार अपनी और खींचता है।
समाजसेवी नारायण भूतड़ा ने बताया कि कहने को भले ही वो कोलकाता में प्रवास करते है, लेकिन उनके दिल में सदैव बीकानेर ही बसता है। इसी कारण जब भी कोई अवसर मिलता है, यहां आने का तो बस निकल पड़ते हैं। यहां का ग्रामीण जीवन भी प्रभावित करता है। बकौल भूतड़ा फिर नगर स्थापना की तो बात क्या कहने! वो बाजरे का खीचड़ा और आमली का स्वाद कैसे भूल सकते हैं।
पतंगबाजी के फोटो: एसएन जोशी।
