आस्था : मित्रता कृष्ण-सुदामा सरीखी ही होनी चाहिए, कृष्ण-रुक्मणी विवाह सहित प्रसंगों की हुई व्याख्या - Nidar India

आस्था : मित्रता कृष्ण-सुदामा सरीखी ही होनी चाहिए, कृष्ण-रुक्मणी विवाह सहित प्रसंगों की हुई व्याख्या

बीकानेर, निडर इंडिया न्यूज।

गजनेर में ब्राह्मणों के मोहल्ले में स्थित जिया कुंज में चल रही भागवत कथा में गुरुवार को छठे दिन कई प्रसंगों की व्याख्या की गई। भागवताचार्य पंडित दुर्गा दत्त व्यास ने कृष्ण सुदामा चरित्र की व्याख्या करते हुए कहा कि मित्रता सच्ची तो वहीं है जो कृष्ण-सुदामा ने की। उन्होंने कहा कि सच्ची मित्रता का सबसे बडा उदारण है यह।

उन्होंने कहा की व्यक्ति को निस्वार्थ भाव से मित्रता निभानी चाहिए। भागवत कथा में आज कंस वध प्रसंग सुनाया, तो पंड़ाल जयकारों से गूंज उठा। वहीं कृष्ण-उधव प्रसंग ने सभी को भावविभार कर दिया। यजमान चंद्रप्रकाश भट्‌ठड़, दिनेश भट्‌ठड़ ने सपत्नीक व्यास पीठ की पूजा-अर्चना कराई। पूजन में पंड़ित अमरचंद पुरोहित, माधव व्यास ने भागीदारी निभाई।

रुक्मणी विवाह प्रसंग में झूम उठे श्रद्धालु

कथा में रुक्मणी विवाह प्रसंग के दौरान सजीव झांकी निकाली गई। इस मौके पर परिवारजनों ने जमकर खुशियां मनाई। सभी ने विवाह के अवसर पर झूमकर लुत्फ उठाया। आयोजन को लेकर सूरजकरण भट्‌ठड़, गिरधर गोपाल झंवर सहित भट्ठड़ परिवार भागीदारी निभा रहे हैं। संगीतमय कथा में नरोत्तम रंगा, सोनू और कान्हा ने संगत की। कथा सुनने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं।

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