रमेश बिस्सा
बीकानेरNidarindia.com मरुधरा की इस मिट्टी में कई खेल प्रतिभाओं का जन्म हुआ है। जिन्होंने राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर अपने शहर का मान बढ़ाया है। खेल जगत की ऐसी ही एक विरली शख्सियत अन्तरराष्ट्रीय स्तर के साइकिलिंग कोच महेश कुमार रंगा आज इस जहां को अलविदा कह गए।
रंगा के आकस्मिक निधन से खेल जगत शोक में डूबा है। गुरु वशिष्ठ अवार्डी, रोड किंग महेश कुमार रंगा का निधन हृदयघात से हो गया। आज सुबह नत्थूसर गेट बाहर स्थित उनके निवास से अंतिम यात्रा निकाली गई, तो सैकड़ों खेल प्रेमियों ने नम आंखों से साइकिलिंग के उम्दा खिलाड़ी, प्रशिक्षक को विदाई दी। उनके पुत्र योगेश रंगा ने पिता की अंतेष्ठी की।
कइयों को बनाया योग्य…
खेल के माहौल में पले-बड़े हुए महेश रंगा सदैव अपने मृदुभाषी व्यवहार, अपनापन के लिए याद रहेंगे। बेशक आज वो इस जहां को छोड़कर चले गए, लेकिन साइकिलिंग खेल जगत में वे सदैव अमर रहेंगे। उन्होंने कई ऐसे योग्य खिलाड़ी तैयार किए, जिन्होंने साइक्लिंग के दम पर बीकानेर का नाम विश्व पटल पर गौरवान्वित किया है। खेल भावन को समर्पित महेश रंगा ने जीवन में कई उतार-चढ़ाव देखें। लेकिन उनका आत्म विश्वास, दृढ़ता कभी कम नहीं हुआ। रंगा ने जो पौधा इस खेल के लिए बोया था, वो आज पेड़ बन गए हैं। यही वजह है कि प्रदेश को बड़ी संख्या में साइकिलिंग खेल में पदम मिले हैं। कोच रंगा से प्रशिक्षित खिलाड़ी आज खेल के साथ-साथ अपनी जीविका भी चला रहे हैं। कई खिलाड़ी रेलवे सहित सरकारी सेवाओं में है।
जब कोच पद पर हुई नियुक्ति…
साइकिलिंग कोच किशन पुरोहित के अनुसार महेश रंगा 1984-85 मेें भारतीय खेल संस्थान, पटियाला से साइकिलिंग खेल में उतीर्ण हुए थे। इसके बाद उन्हें स्पोटर्स आथॉरिटी ऑफ इंडिया से कोच के पद पर नियुक्त मिली। उन्होंने कई राज्यों में अपनी प्रतिभा के दम पर युवा खिलाड़ी तैयार किए। रंगा ने अपने प्रशिक्षण काल में देश को अन्तरराष्ट्रीय स्तर के साइकिलिंग के खिलाड़ी दिए, जिन्होंने राष्ट्र का नाम गौरव किया।
सरकार ने पुरस्कार से नवाजा…
महेश रंगा ने कई ऐसे प्रतिभावान साइकिलिंग खिलाड़ी तराशे जिन्होंने राष्टीय और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर बीकानेर का नाम रोशन किया, साथ ही पदक भी जीते। यही वजह है कि साइकिलिंग खेल में महारथ हासिल रंगा को राजस्थान सरकार ने साल 2017-18 में गुरु वशिष्ठ अवार्ड से नवाजा था।
रहते थे अलमस्त…
रंगा की अपनी अलहदा जीवन शैली थी। भले ही राष्ट्रीय स्तर पर नाम कमाया, बेहतरीन कोच थे, लेकिन उनके दिल में किसी तरह का अहंकार, घमंड़ नहीं था, खेल जगत की ऊंचाइयां छूने के बाद भी वो जमीन से जुड़े रहे। अपनी मस्ती में मस्त मगन रहने वाले कोच’साब! आज हमेशा-हमेशा के लिए शांत हो गए।
ऐसे होनहार, प्रतिभावान खिलाड़ी, प्रशिक्षक को ‘निडर इंडिया टीम’ की ओर से शत-शत नमन…