बीकानेरNidarindia.com

भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रविवार को हर्षोल्ला के साथ निकाली जाएगी। राजस्थान में कई स्थानों पर रथयात्रा निकाली जाती है। वहीं बीकानेर में पुरानी जेल रोड स्थित प्राचीन मंदिर में तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया है। तीनों रथों का रंग-रोगन कर सजावट की जा रही है। मंदिर पुजारी जगन्नाथ पांडे और रवि पांडे ने बताया कि शनिवार को भगवान जगन्नाथ का विशेष शृंगार किया गया। नए वस्त्र पहनाए गए।
भगवान को चावल, दाल, खीर, हलवा का भोग लगाया गया। रविवार को रथ यात्रा से पहले शाम साढ़े पांच बजे महाआरती होगी, फिर यात्रा निकाली जाएगी। रथ यात्रा समिति के अध्यक्ष घनश्याम लखानी ने बताया कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की सवारी सजे संवरे रथों में बैठकर शाम को प्राचीन मंदिर निकलेगी। पूजा अर्चना के बाद रथयात्रा जगन्नाथ मंदिर से शुरू होकर कोटगेट, केईएम रोड होते हुए शिरोमणी रतन बिहारी मंदिर पहुंचेगी। इस यात्रा में साधु-संतों के साथ ही नगर के गणमान्य लोग भी शामिल होंगे। वहीं रास्ते में कई स्थानों पर रथ यात्रा का पुष्पवर्षा से स्वागत किया जाएगा। शिरोमणी रतन बिहारी मंदिर में भगवान जगन्नाथ नौ दिनों तक विश्राम करेंगे। वहां पर रोजाना पूजा-अर्चना होगी, भोग लगाया जाएगा। नौ दिन बाद भगवान जगन्नाथ अपने निर्धारित स्थान (मंदिर) पहुंचेगी।

रियासकालीन है मंदिर
रथयात्रा समिति के अध्यक्ष घनश्याम लखानी के अनुसार मंदिर का निर्माण रियासकाल में हुआ था। उस दौर में राजा रतनसिंह ने इस मंदिर के लिए भूमि प्रदान की थी। ऐसी मान्यता है कि उस समय कुछ पंडे (पंड़ित पुजारी) भगवान जगन्नाथ परिवार की प्रतिमाएं लेकर बीकानेर आए और वो सूरसागर तालाब पर बैठ गए। फिर उस समय के तात्कालीन राजा रतन सिंह के समक्ष बीकानेर में भगवान जगन्नाथ का मंदिर स्थापित करने की मंशा जताई। बताया जाता है कि उस समय राजा रतनसिंह ने उन पंड़ों को कहा था कि यदि बीकानेर में बारिश होती है और यह सूरसागर भर जाता है, तो यहां पर यह मंदिर स्थापित करवा देंगे। कहते है उसी रात बीकानेर में झूमकर बारिश हुई, जो राजा को अवगत कराया कि सूरसागर भर गया है, तब राजा ने पंड़ितों को बुलाकर उन्हें जगन्नाथ भगवान का मंदिर स्थापित करने के लिए यह स्थान दिया था। जहां पर आज प्राचीन मंदिर है। बीकानेर में धुणीनाथ अस्पताल के सामने यह मंदिर है। भामाशाहों ने समय समय पर मंदिर का जीर्णोद्वार भी कराया गया है।

नए रथों का निर्माण
समिति के लखानी के अनुसार मंदिर परिसर में खड़े सुन्दर रथों का जीर्णोद्वार उद्योगपित शिवरतन अग्रवाल(फन्ना बाबू ) ने कराया था। वे रथ यात्रा समिति के संरक्षक भी है। रथों को यात्रा से पहले तैयार किया जाता है। सभी का रंग रोगन होता है। रथ यात्रा के दिन ही यह बाहर निकलेंगे।

