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‘थारों वचन ए सुणवना रे…थारों हवेली री रो हेलो रे…थे झरोखे बैठे झेलो…थोरें आंखडल्यों रो पोणी रे, ज्यों झीणी केसर छाणी…सरीखे गीतों की करतल ध्वनी और नगाड़ों पर ताल मिलाते कलाकार। यह दृश्य आज सुबह बारहगुवाड़ में साकार हो रहा था।

अवसर था, हड़ाऊ-मेहरी रम्मत के मंचन का। रम्मत के अखाड़े में कल देर रात को गणेशजी का पदार्पण हुआ। इसके हडाऊ मेहरी बने कलाकार अखाड़े में उतरे। गीत संगीत से सजी रम्मत में राजा-रानी के रूठने मनाने की कवायद रातभर चली। अंत में मां भगवती की स्तुति कर सभी की खुशहाली मांगी।

आयोजन को लेकर श्री शिव जबरेश्वर कला एवं नाट्य संस्थान के बीआर सूरदासाणी, श्री शिव जबरेश्वर नाट्य एवं कला संस्थान के तत्वावधान में मंचित रम्मत में गणेशजी के पदार्पण के बाद जाट-जाटनी और बोहरा बोहरी ने जमाने की बात कही।


मध्य रात्रि के बाद गीतों और संवाद पर आधारित, राजा-रानी के रुठने मनाने की कवायद का ताना-बाना बुनती रम्मत शुरू हुई जो आज सुबह तक चली। रम्मत में बीआर सूरदासाणी, शिवशंकर, राजकुमार पुरोहित, रमेश व्यास, विजय कुमार, कैलाश कुमार ने भागीदारी निभाई। वहीं नगाड़ों पर गोविन्द,कन्हैयालाल पुरोहित, सीताराम ने संगत की।
पानी की मार से लाल हुई पीठ…
बारहगुवाड़ चौक में आज होलिका के दिन डोलची मार पानी का खेल खेला गया। पंडि़त जुगलकिशोर ओझा के सान्निध्य में ओझा-छंगाणी जाति के लोगों में यह डोलची मार खेल दोपहर में शुरू हुआ। इसमें एक दूसरे की पीठ पर पानी का वार किया गया।
होली का दहन रात को…
आज रात को विभिन्न मोहल्लों में होलिका दहन किया जाएगा। मुहूर्त के अनुसार विधिविधान से भक्त प्रहलाद की पूजा-अर्चना के बाद दंभी होलिका का दहन किया जाएगा। इस दौरान नव विवाहित जोड़ें होलिका की परिक्रमा कर परम्परा का निर्वाह करेंगे।
कल उड़ेगी गुलाल…
रंगों से सराबोर त्योहार होली की मस्ती सोमवार को परवान पर रहेगी। पूरा शहर मानो रंगों के गुब्बार में लिपटा नजर आएगा। कई जातियों की पारम्परिक गेर निकाली जाएगी। नत्थूसर गेट बाहर तणी तोडऩे की रस्म निभाई जाएगी। हर्ष जाति के दूल्हे की बरात निकलेगी।
गूंजेंगे गणगौर गीत…
धुलंडी के दिन से ही बालिकाएं बालि गणगौर का पूजन शुरू करेगी। कल से अब शहर में एक पखवाड़े तक मां गणगौर के गीत गूंजेंगे। गणगौर पूजन एक पखवाड़े तक चलेगा। इसके बाद विवाहित महिलाएं धींगा गणगौर का पूजन शुरू करेगी।
सभी फोटो : एसएन जोशी।

