‘धोरों की धरती राजस्थान अपने में कई विशेषताएं समेटे हुए है। इस मरुधरा ने ख्यातिनाम प्रतिभाओं को जन्म दिया है, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्रों में प्रदेश का नाम रोशन किया है। फिर बात यदि गीत-संगीत और कला जगत की हो, तो प्रदेश ने देश को कई नगीने दिए हैं। ऐसी ही शख्सियत से आज ‘निडर इंडिया’ पाठकों का परिचय कराने जा रहा है, जिन्होंने भले ही जन्म राजस्थान में लिया, लेकिन महानगर कोलकाता में अपनी कला का ऐसा जलवा बिखरा है कि हर कोई उनकी गायन शैली का कायल है। बीते दिनों बीकानेर से रामदेवरा तक की पैदल यात्रा के दौरान कोलकाता में बाबा रामदेवजी की कथा(जम्मा) गायन शैली के ख्यातिनाम कलाकार महेश-राकेश से ‘निडर इंडिया’ के सम्पादक रमेश बिस्सा की हुई वार्ता के संक्षिप्त अंश यहां प्रस्तुत है।
बीकानेर.रामदेवराNidarindia.com
लोक देवता बाबा रामदेवजी का गुणगान करने वालों की फेहरिस्त लंबी है। देश-विदेश में आज बाबा का गुणगान लोग करते हैं, राजस्थान के साथ ही गुजरात और अन्य महानगरों से हर साल भादव महिने में रामदेवरा स्थित बाबा की समाधी के दर्शन करने के लिए लाखों श्रद्धालु आते हैं। इसी तरह वर्षभर बाबा रामदेवजी का गुणगान भी लोग करते हैं, इसमें कोई भजन गाकर, तो कथा करके, कोई जम्मा सुनाकर बाबा का गुणगान करते हैं।
कोलकाता महानगर में आज भी ‘जम्मा’ सुनने और सुनाने की परम्परा कायम है। यही वजह है कि आज कई प्रतिभावान कलाकार बाबा का गुणगान करते हैं। उन्हीं विरलो में से एक है महेश-राकेश की जोड़ी। जो कहने में भले दो नाम है, लेकिन लोग इनकों एक नाम से ही जानते हैं। महेश-राकेश आज किसी परिचय के मोहताज नहीं है। अपनी गायन शैली, मधुर व्यवहार और बाबा रामदेवजी के प्रति अटूट आस्था के चलते अपना अलग मुकाम हासिल किया है। यही कारण है कि आज कोलकाता महानगर का कोई भी ऐसा क्षेत्र इनसे अछूता नहीं है, जहां पर इस गायक जोड़ी ने अपना परचम नहीं लहरा हो। यही नहीं महानगर कोलकाता के अलावा आसाम, बिहार, मध्यप्रदेश, दिल्ली, चैन्नई, उडि़सा, झारखंड़, राजस्थान सहित देश के महानगरों में बाबा गुणगान कर चुके हैं।
कभी सह गायक बनकर जाते थे…
महेश-राकेश ने निडर इंडिया को बताया कि बाबा का यह गुणगान करने का सफर 2013 में शुरू किया था। इसके बाद आज तक पीछे मुडक़र नहीं देखा। महेश-राकेश ने बताया कि उनको बाबा रामदेवजी की कथा की इस गायन शैली से जोडऩे वाले कोलकाता के ख्यातिनाम कलाकार दिवंगत नंदूजी पुरोहित थे। पुरोहित महागनर में रामदेवजी की कथा(जम्मा)करते थे। महेश अपने चाचा नंदू के साथ पांच साल तक सह गायक के रूप में जाते थे। इसके बाद वाणी भूषण, शम्भू शरण,लाटाजी के साथ रामकथा में भी जाने लगे। उसके बाद महेश को ख्यातिनाम कथा वाचक-मुन्ना व्यास के साथ भी 6 साल तक संगत करने का मौका मिला। वहीं जोड़ी दूसरे कलाकार राकेश भी 6 साल तक नंदूजी पुरोहित के साथ कथा वाचन में जाते थे।
एक बार ऐसा अवसर आया कि वर्ष 2013 जनवरी में बाबा रामदेवजी मेहर हुई और राजू पुरोहित ने इन दोनों को मिलाया। साथ ही एक डायरी में दोनों ने बाबा की कथा(जम्मा) लिखकर संकलित की। फिर दोनों ने मन में तय किया अपने स्तर पर कथा शुरू करने से पहले रामदेवरा जाकर बाबा की समाधी पर धोक लगाएंगे। इसी संकल्प को लेकर रामदेवरा दर्शन करने पहली बार आए। इस दौरान उस डायरी की विधवत रूप पूजा भी की जिसमें कथा लिखी थी। बस उसी साल से महेश-राकेश की जोड़ी बाबा रामदेवजी का गुणगान करने में जुट गए। आज बाबा की कथा का गुणगान करते हुए महेश-राकेश की जोड़ी को ११ साल बीते चुके हैं। बाबा की असिम अनुकंपा है।
यही वजह है कि वर्षभर बाबा गुणगान करने का अवसर इन्हें मिलता है। महेश-राकेश बताते है कि जितना भी बाबा देता है, उससे उनके जीवन की गाड़ी चल रही है। बाबा के प्रति अटूट श्रद्धा भाव के चलते इस बार 24 फरवरी से 2 मार्च तक बीकानेर से बाबा रामदेवजी की पैदल यात्रा में शामिल हुए। गौरतलब है कि महेश पुरोहित बीकानेर मूल के है, लेकिन अर्से से कोलकाता में ही रह रहे हैं। वहीं राकेश शर्मा शेखावाटी मूल के है, वो भी लंबे समय से कोलकाता में ही रहे हैं।