इसलिए आज घर-घर में गोवर्धन भगवान की आकृति उकेर कर हुई पूजा, देखें वीडियो…
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श्री गोवर्धन महाराज, तोपे पान चढ़े तोपे फूल चढ़े,तोपे चढ़े दूध की धार।
तेरे माथे मुकुट विराज रहे…गिरीराज धरण प्रभू तेरी शरण…सरीखे भजनों की पंक्तियां आज घर-घर में साकार हो उठी।
अवसर था गोवर्धन पूजा का। दिपावली के अगले दिन हर जगह गोवर्धनजी की पूजा होती है। इस परम्परा का निर्वाह करते हुए इस बार आज मंगलवार को कार्तिक प्रतिपदा के दिन गोवर्धन पूजा की गई।
घरों के आगे मिट्टी, गोबर से भगवान गाूेवर्धन की आकृति उकेर कर उसकी पूजा-अर्चना कर आरती की गई। कल भैया दूज का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन जमुना नदी में भाई-बहिन के स्नान का महत्व है भी बताया गया है। इस पर्व को यम द्वितिया स्नान भी कहते है।


गोवर्धन पूजा का महत्व
ऐसी पौराणिक मान्यता है कि इंद्रदेव का घमंड़ चूरू करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी अंगुली पर पूरा गोवर्धन पर्वत ही उठा लिया था। इस पर्वत के नीचे पूरी ब्रज नगरी समा गई। इस तरह से इंद्र के कोप से लोगों को बचा लिया। इस दिन ख़ास तौर पर भगवान कृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गायों की पूजा का विधान है।
साथ ही 56 प्रकार के पकवान बनाकर श्रीकृष्ण को भोग लगाया जाता है। इन पकवानों को ही ‘अन्नकूट’ कहा जाता है। कृष्ण मंदिरों में अन्नकूट का मनोरथ भी होता है। आज भी ब्रज में गोवर्धन पर्वत का खास महत्व है।
