सीता का हरण: मेरे भय से धरती स्वर्ग भी मौन है, मैं ही जगत का रावण हूं - Nidar India

सीता का हरण: मेरे भय से धरती स्वर्ग भी मौन है, मैं ही जगत का रावण हूं

रामलीला में साकार हुई रामायण की झांकी, सीता हरण, खर-दुषण वध, सुरपंखा प्रसंग सहित दृश्यों का मंचन हुआ, बड़ी संख्या में पहुंचे लोग

रमेश बिस्सा

बीकानेरNidarindia.com
“नाक कटी नकटी हो आई, चेहरा लहू लुहान हुआ, बता तू बहिना सुरपंखा ये कैसा घमासान हुआ…लक्ष्मण के हाथ नाक कटने के बाद अपने भाई के पास रोती-बिलखती सुरपंखापहुंची, तो खर ने पूछा बहिन ये कैसे हो गया। वो राते हुए जबाव देती है कि वन में दो राजकुमार आए है, जो अवध के है। एक का नाम राम और दूसरे का लखन बता रहे हैं। उसने मेरी नाक काट दी। राक्षसी बहिन की नाक कटन के बाद खर और दुषण उस स्थान पर वन में पहुंचे, जहां पर राम,लक्ष्मण और सीता माता रह रहे थे। यह दृश्य शुक्रवार रात को लक्ष्मीनाथ मंदिर पसिर के संतोषी माता पार्क में साकार हो रहा था। अवसर है श्री राम कला मंदिर की ओर से आयोजित रामलीला के मंचन का। इसके साक्षी बन रहे सैकड़ों आस्थावान लोग। रामलीला का मंचन पहली नवरात्रा से ही चल रहा है।

सीता का हुआ हरण
शुक्रवार रात को सीता हरण, सुरपंखां, खर.दुषण वध सहित कई प्रसंगों का प्रभावी मंचन किया गया। प्रसंग के अनुसार खर का वध होने के बाद जब दरबार में रावण आता है.तो क्रोधित हो उठता है। रावण कहता है कि “मेरे भय से धरती स्वर्ग भी मौन है, मैं ही जगत का रावण हूं, मुझसे बढ़कर कौन है…इसके बाद सीता का हरण कर ले जाता है। संगीतमय रामलीला में कलाकार अपनी बेहतर अभिनय अदायगी से लोगों को देर रात तक बांधे रख रहे है।

 

बतौर अतिथि यह हुए शामिल
रामलीला मंचन के दौरान शुक्रवार को कोलकाता प्रवासी समाज सेवी और रामदेव बाल मंडल के संरक्षक जेठमल रंगा, बीकानेर रत्ताणी व्यास पंचायती ट्रस्ट के अध्यक्ष महेन्द्र व्यास, आनंद जोशी, हनुमान अग्रवाल,रमेश बिस्सा बतौर अतिथि शामिल हुए। इस दौरान संस्था के अध्यक्ष गिरीराज जोशी, सचिव अभिराम दत्त गौड़ सहित पदाधिकारियों ने अतिथियों को दुपट्टा पहनाकर और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
यह निभा रहे भागीदारी
रामलीला में मनीष, रवि, गिरीराज, ललन जोशी, गोपाल, मदन गोपाल, मयंक, नवीन और भैरूं सहित कई कलाकार भागीदारी निभा रहे हैं।

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