-स्पिक मैके, वेटरनरी विश्वविद्यालय और मंगल फॉक फाउण्डेशन ने की पहल
-अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिनाम पदमश्री रोनू मजूमदार ने किया मंत्रमुग्द
बीकानेर, निडर इंडिया न्यूज।




अन्तरराष्ट्रीय ख्यातिनाम पदमश्री से सम्मानित बांसुरी वादक पंड़ित रोनू मजूमदार ने मंगलवार को बीकानेर में ऐसे ताराने छेड़े कि वेटरनरी ऑडिटोरियम में बैठे सुधी श्रोता और वेटनरी के विद्याथी बांसुरी की धुनों के मुरीद हो गए। अवसर था स्पिक मैके (सोसायटी फॉर प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिकल म्यूजिक एंड कल्चर अमंग्स्ट यूथ) , वेटरनरी विश्वविद्यालय और मलंग फॉक फाउण्डेशन के तत्वावधान में आयोजित बांसुरी वादन कार्यक्रम का।
मजूमदार की हर प्रस्तुति पर तालियां बजाकर श्रोताओं ने उनको दाद दी। पदमश्री रोनू मजूमदार ने फिल्मी गीत “कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो…क्या कहना है…के स्वर जब बांसुरी पर छेड़े तो पूरा हॉल मंत्रमुग्द हो गया। बांसुरी मधुर धुन सुनने में जैसे हर कोई खो गया। मजूमदार यही नहीं ठहरे, उन्होंने अपने घराने की छाप छोड़ते हुए बांसुरी की ऊंचाइयों को छूआ। कलाकार ने राग मंगल भैरव में निबद्ध आलाप, द्रुत लय की तबले के साथ ऐसी संगत मिलाई हर कोई वाह-वाह कहने पर मजबूर हो उठा।
रोनू मजूमदार ने बांसुरी पर अपने स्वरों का जादू बिखेरते हुए भजन पयो जी मैने रामरतन धन पायो…छाप तिलक सब छीनी रे मौसे नैना मिलाएके…की दमदार प्रस्तुति से सभी को भावविभाेर कर दिया। मजमूदार ने ‘वंदेमातरम्…सुनाकर अपनी प्रस्तुति को विराम दिया। रोनू मजूमदार के साथ बांसुरी पर उनके वरिष्ठ शिष्य कल्पेश माणकलाल साचेला और तबले पर रोहित देव ने संगत की।


प्रति कुलगुरु राजुवास प्रो. हेमन्त दाधीच ने पं. मजूमदार और उनकी टीम का स्वागत करते हुए युवाओं को वर्तमान समय में शास्त्रीय संगीत की महत्ता के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत युवाओं को भारत की समृद्ध परंपरा से जोड़ने का अनुठा अवसर प्रदान करता है। मंच का संचालन स्पिक मैके के राज्य सचिव दामोदर तंवर ने किया। कार्यक्रम में राजस्थान कबीर यात्रा के निदेशक और मलंग फाॅक फाउण्डेशन के गोपाल सिंह, भागवताचार्य पंड़ित राजेन्द्र जोशी, वाणी लोक गायक शिवजी सुथार सहित संगीत रसिक शामिल हुए।
