बीकानेर, निडर इंडिया न्यूज।

‘वंदे गंगा, जल संरक्षण जन अभियान’ के तहत पशुपालन विभाग की ओर से शनिवार को बहु उद्देशीय पशु चिकित्सालय, गोगागेट में जल संरक्षण से जुड़ी संगोष्ठी आयोजित की गई।
पशुपालन विभाग के संयुक्त निदेशक डॉ. कुलदीप चौधरी ने कहा कि जल संरक्षण का अर्थ पानी का कुशलतापूर्वक उपयोग और जल की अनावश्यक बर्बादी को रोकना है। पृथ्वी पर सभी जीवित प्राणियों के अस्तित्व के लिए जल आवश्यक है।

जल सीमित है और इसका संरक्षण प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है। संगोष्ठी में पशुपालन से जुड़े विभिन्न लोगों ने भागीदारी निभाई। इस दौरान उपनिदेशक डॉ. राजेश हर्ष, डॉ. राजेंद्र स्वामी और गोपाल सिंह नाथावत ने भी जल संरक्षण से जुड़े विचार रखे। अभियान के दौरान पशु गौशालाओं में पशु खेलियों की सफाई और पक्षियों के लिए परिंडे बंदे गए। जिससे इन जीवों को भी पर्याप्त और जल स्वच्छ जल उपलब्ध हो सके।
निष्ठा के साथ कर्म करने का संकल्प : “निडर इंडिया” ने पूरा किया तीन साल का सफर, चुनौतियां का किया डटकर सामना, मिला पाठकों का सहयोग
रमेश बिस्सा
बीकानेर, निडर इंडिया न्यूज।
प्रिय पाठकों को आपको यह जानकर परम हर्ष होगा कि आज आपके अपने न्यूज पोर्टल ” निडर इंडिया “ ने अपना तीन साल का सफर पूरा कर लिया है और चौथे साल में प्रवेश कर रहा है। विगत तीन साल का सफर निडर इंडिया के लिए आसान नहीं था, कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, यहां तक पहुंचने में कई बाधाएं भी आई, तकनीकी रूप से परेशानियां भी हुई, इन सबके बावजूद सुखद यह है कि आज निडर इंडिया ने अपने दृढ़ संकल्प और पूरी निष्ठा के साथ तीन साल का सफर सफलता से पूरा कर लिया है। इस पायदान तक पहुंचाने में आप पाठकों की ही बड़ी अहम भागीदारी रही है। आपका स्नेह और प्रेम ही है कि आज के प्रतिस्पर्धा भरे इस युग में निडर इंडिया अपने नाम को साकार करता हुआ आगे बढ़ता जा रहा है। चौथे साल में प्रवेश कराने के लिए पाठकों का हदृय की गहराइयों से आभार। उम्मीद करता हूं आपका स्नेह यूं ही आगे भी बना रहेगा।
बदल रही है पत्रकारिता
आज पत्रकारिता के मायने, उसका स्वरूप ही बदल रहा है। यह सही है कि साइबर युग है, डिजिटल का जमना है, ऐसे में मीडिया थोड़ा बदलाव करना तो जरूर है। लेकिन बीते दशकों में पत्रकारिता में कई तरह के बदलाव सामने आए है। मैने अपनी पत्रकारिता का सफर दैनिक लोकमत 1996 में शुरू कर दिया था, वह दौर प्रिंट मीडिया का था। तो उसमें काम करने का अपना एक अनुठा अनुभव था। उस समय एक मिशन के रूप में पत्रकारिता की बारिकियां सिखने का एक जुनून था, मन में उत्साह भी था। उस समय के अखबारों में जो काम किया, वो एक नौकरी की तरह नहीं होकर एक पाठशाला की तरह हुआ करता था। आज सबकुछ बदल सा गया है। पहले जहां पत्रकारिता की नींव रखने के लिए अखबारों में जाकर अुनभव लेना पड़ता था, आज हाई टेक जमाना है, आज सोशल मीडिया के कई तरह के प्लेटफार्म सामने है, जिनके जरिए कोई भी इस क्षेत्र में आज सकता है। हो भी यही रहा है आज मोबाइल पर वीडियाे बनाकर सीधे ही पत्रकार बन रहे हैं, हलांकि युवाओं का पत्रकारिता के प्रति लगाव होना अच्छे संकेत है, फिर भी पत्रकार बनने के लिए जो नींव है, वहां तक तो जाना ही चाहिए। मैंने वर्ष 2020 तक लगातार प्रिंट मीडिया में काम करते हुए पत्रकारिता की बारिकियां और उसकी गंभीरता को समझा और परखा है। इसके बाद ही न्यूज पोर्टल की कल्पना को साकार रूप दिया था।
कइयों से मिला मार्गदर्शन…
निडर इंडिया के तीन साल के सफर में कई वरिष्ठ साथियों का सानिध्य मिला है। तो कई युवा साथियों ने नई तकनीकी की बारिकियां सिखाने में हमेशा ही सहयोग किया है। आशा करता हूं आगे भी साथियों का सहयोग मिलता रहेगा। उसी ताकत के बल पर निडर इंडिया यूं ही पत्रकारिता के चुनौतियों को स्वीकार कर इस कठिन डगर पर आगे बढ़ता रहेगा। इसी आशा-उम्मीद और संकल्प के साथ एक बार फिर से सभी पाठकों, सहयोगियों और पत्रकार साथियों का दिल से आभार।
सम्पादक, निडर इंडिया न्यूज।

