-बीकानेर प्रवास के दौरान अब तक के सफर के बारे में विस्तार से बताया, कहा-बीकानेर में अपनापन है
बीकानेर, निडर इंडिया न्यूज।

शास्त्रीय संगीत में किसी भी तरह का शॉर्टकट नहीं होता है। यहां तो कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। यह ईश्वरीय साधना ही है। यह कहना है कोलकाता प्रवासी युवा शास्त्रीय गायक अस्मित व्यास का। निजी यात्रा पर अपने परिजनों के साथ बीकानेर आए अस्मित व्यास ने ‘निडर इंडिया’ के सम्पादक रमेश बिस्सा के साथ अब तक के संगीत के सफर को लेकर विस्तार से बातचीत की। यहां प्रस्तुत है बातचीत के महत्वपूर्ण अंश।
अस्मित ने बताया कि खिलौने खेलने की उम्र में ही उसे संगीत से लगाव होने लगा था। महज ढाई साल की उम्र में ही शासत्रीय संगीत और रुझान बढ़ने लगा। फिर धीरे-धीरे यह सफर शुरू हआ। जैसे बड़ा होता गया, संगीत के प्रति आस्था और प्रगाढ़ होती गई। परिजनों ने अस्मित के रुझान को देखा और फिर पं विधिवत रूप से प्रारंम्भिक दौर में जोधपुर और इसके बाद कोलकाता में गुणीजन लोगों के पास शास्त्रीय संगीत की बारिकियां सिखने के लिए भेज दिया। गौरतलब है कि अस्मित के पिता अमित व्यास एक निजी कंपनी में जॉब करते हैं, तो तबादले भी होते रहते हैं, जब अमित का तबादला जोधपुर से कोलकाता हुआ, तो फिर अस्मित को लगा उसका सपना साकार हो रहा है। कोलकाता तो संगीत कला के लिए अपनी विशेष पहचान रखता है। वहां शास्त्रीय संगीत के कई गुणीजन गुरू प्रवास करते हैं। कोलकाता में संगीत का माहौल है, वहां समझने और सुनने वाले भी बहुत है। वर्ष 2010 में ही देश के ख्यातनाम शास्त्रीय गायक पंड़ित अजय चक्रवर्ती का सान्निध्य मिला। अस्मित ने बताया कि शास्त्रीय संगीत को पूजा-साधना समझते है, यहीं वजह है कि वो रोजाना इसके लिए 6-6 घंटे रियाज भी करते है, जो इसके लिए जरूरी है। इसके बाद गुरुजनों के निर्देशन में शास्त्रीय संगीत की हर तरह की बारिकियां सीख रहा हूं, समझ रहा हूं।

एक प्रोफेशनल शास्त्रीय गायक बनने का सपना है
अस्मित ने सवाल के जबाव में बताया कि भविष्य में उनका सपना एक प्रोफेशनल शास्त्रीय गायक बनने का है। इसके लिए घंटों तक रियाज करना होगा, कड़ी महनत और लगन के साथ बारिकियां सीखनी होगी। इसमें भले ही समय लगेगा, लेकिन वो इसके लिए तैयार है। वो पूरी शिद्धत के साथ संगीत साधना में लगे है। साथ ही कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं, उसमें भी सगीत विषय ही ले रखा है। अस्मित अपनी प्रतिभा के दम पर आज आगे बढ़ रहा है, इसमें अस्मित के दादा गौकुल चंद व्यास, पिता अमित व्यास, माता स्वेता व्यास, दादा शशि भूषण, अजय कुमार थानवी सहित परिजनों का भरपूर सहयोग मिल रहा है। ताकि वो पूरे उत्साह और जोश के साथ आगे बढ़ता चले।
अब तक के सफर पर एक नजर
अस्मित ने बताया कि बीकानेर में एक अपनापन लगता है, जब भी यहां आने का मौका मिलता है, बहुत अच्छा महसूस करता हूं। एक वजह यह भी है कि यहां पर रिश्तेदारी, ननिहाल भी है। यहां सभी स्नेह रखते हैं। महज 18 साल के अस्मित को संगीतकार एआर रहमान, राजस्थन के लोक ख्यातिनाम मांगणियार, पंड़ित जसराज से भी एक बार आशीर्वाद मिला है।
जोधपुर की पैदाईश…
अस्मित का जन्म 2006 में जोधपुर में हुआ था। लेकिन पारिवारिक जड़ें बीकानेर में हैं। पिता अमित व्यास मूल तो बीकानेर से ही है, उस समय जोधपुर में बैंकिंग सेवा में थे। इसके बाद 2009 में जोधपुर में ही सतीश बोहरा के सान्निध्य में संगीत की प्रारंभिक शिक्षा शुरू की। बाद में पिता अमित जॉब के सिलसिले में कोलकाता चले गए, लेकिन अस्मित के संगीत का सफर चलता रहा। उसने 2010 से 2014 तक कोलकाता में पार्थो डे से 4 साल तक संगीत सीखा। बाद में 2014 में श्रुतिनंदन में शामिल हो गया, जहां गुरुजी पंडित अजय चक्रवर्ती के संरक्षण में भारतीय शास्त्रीय संगीत की बारिकियां सीखनी शुरू किया। वहां अभिजीत मुखर्जी, देबोरशी भट्टाचार्य और गुरुजी पंडित अजय चक्रवर्ती का सान्निध्य अस्मित को मिला। वर्तमान में यह युवा कलाकार आईटीसी संगीत रिसर्च अकादमी में देबोरशी भट्टाचार्जी और गुरुजी पंडित अजय चक्रवर्ती से शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ले रहे हैं।
अस्मित को मिल चुकी है यह उपलब्धियां…..
अस्मित वर्ष 2024 में आईटीसी संगीत अनुसंधान अकादमी में जूनियर स्कॉलर के रूप में चयनित हुए। वहीं युवावाणी आकाशवाणी कोलकाता में ख्याल, भजन और ठुमरी में सूचीबद्ध कलाकार है। सीसीआरटी नई दिल्ली 2017-18 (संस्कृति मंत्रालय) और श्रुतिनंदन-एनसीपीए मुंबई (5 वर्षों के लिए 2018-2023) से हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में प्रतिष्ठित छात्रवृत्ति के प्राप्तकर्ता है। रेडियो वन एफएम चैनल पर “लिटिल लिटिल रेट्रो स्टार” शो के रनर-अप रहे। सीनियर श्रेणी में “सद्गुरु जगजीत सिंह शास्त्री संगीत प्रतियोगिता” में द्वितीय रनर पुरस्कार जीता। ट्रॉफी और 50000 रुपये का नकद पुरस्कार प्राप्त किया। मुरारी स्मृति संगीत सम्मिलिनी में तीन बार 2016, 2017 और 2019, जोधपुर पार्क उत्सव में दो बार 2016, 2017 और निखिल बंगा और विस्तार में एक बार सभी आयु वर्ग के प्रतियोगियों में से सर्वश्रेष्ठ प्रतियोगी को चुना गया। इसके अलावा ख्याल, लोकगीत, भजन, रवीन्द्रसंगीत, नजरुलगीति, आधुनिक बांग्ला, रागप्रधान, रजनीकांत, अतुलप्रसाद और ठुमरी में कई संगीत प्रतियोगिताओं में पुरस्कार जीते।
मुरारी स्मृति, निखिल बंगा, मेधा टक्कर, त्रिधरा उत्सव, जोधपुर पार्क उत्सव, INSPIRO2K15, क्लासिकल वॉयस ऑफ इंडिया, संतोषपुर त्रिकोण पार्क उत्सव, रागरांजिनी टैलेंट हंट, केंद्रीय विद्यालय संगठन की इंटर स्कूल प्रतियोगिता। नेहरू बाल संग्रहालय, वर्ष 2019 में ग्लोबल ट्रायम्फ फाउंडेशन, बैंगलोर से भारत के शीर्ष 50 उभरते आइकन का पुरस्कार प्राप्त किया। टीम भिलाई एंथम तरतम्या महोत्सव से कोमल गांधार और कोमल धैवत पुरस्कार प्राप्त किया। आकाशवाणी बीकानेर से प्रदर्शन के लिए प्रशंसा पत्र प्राप्त किया। एकल गीत में क्लस्टर, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर कई बार स्कूल केंद्रीय विद्यालय कमांड अस्पताल का प्रतिनिधित्व किया और 1250 से अधिक स्कूलों के प्रतियोगियों के बीच कला उत्सव (केंद्रीय विद्यालय संगठन) 2022 और 2023 में प्रथम पुरस्कार भी जीता।
संगीत वीडियो, संगीत कार्यक्रम और प्रदर्शन:
कई संगीत समारोहों और कार्यक्रमों में प्रदर्शन किया है, इसमें आकाशवाणी बीकानेर में प्रदर्शन – 30 मिनट का कार्यक्रम। गुरुजी पंडित अजय चक्रवर्ती के साथ विरासत श्रृंखला में विशेष रुप से प्रदर्शित, गाने गाने दुर्गा पूजा, धनो धन्य पुष्पो भरा गीत, कई संगीत कार्यक्रमों में प्रस्तुतियां दी है। इसमें मंगलवार संगीत कार्यक्रम और श्रुतिनंदन का 25 वर्ष का उत्सव कार्यक्रम शामिल है। वहीं एनसीपीए मुंबई कार्यक्रम श्रुतिनंदन की ओर से आयोजित, भारतीय संस्कृति संसद कोलकाता में एकल संगीत कार्यक्रम, एनआईवी कला दिल्ली द्वारा किशोर कला उत्सव। राजस्थानी संस्कृति उत्सव कला मंदिर कोलकाता, भक्तिवेदांत संस्थान द्वारा आयोजित क्वांटम भौतिकी और चेतना पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन, भारतीय प्राच्य विरासत संस्थान – 37वीं राष्ट्रीय संगोष्ठी, रोटरी क्लब बीकानेर में एकल संगीत कार्यक्रम, कोलकाता रथ यात्रा मैदान में रथ यात्रा महोत्सव, गीतिका और विस्तार संगीत सम्मेलन और मुरारी स्मृति स्मृति संगीत सम्मेलन के 74वें, 75वें, 76वें और 78वें वार्षिक संगीत समारोह में भी प्रस्तुति देकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा चुके हैं।

