रेलवे : आकार ले रही है देश की पहली भूमिगत 21 किमी लंबी सुरंग, रेल मंत्री ने किया अवलोकन, महाराष्ट्र  में चल रहा है निर्माण - Nidar India

रेलवे : आकार ले रही है देश की पहली भूमिगत 21 किमी लंबी सुरंग, रेल मंत्री ने किया अवलोकन, महाराष्ट्र  में चल रहा है निर्माण

जयपुर डेस्क, निडर इंडिया न्यूज।

मुंबई बुलेट ट्रेन भूमिगत स्टेशन बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स और महाराष्ट्र राज्य के शिलफाटा के बीच 21 किलोमीटर लंबी भारत की पहली भूमिगत,समुद्री सुरंग का निर्माण चल रहा है। इसमें 21 किलोमीटर सुरंग निर्माण कार्य में से 16 किलोमीटर टनल बोरिंग मशीनों के माध्यम से और शेष 5 किलोमीटर एनएटीएम के माध्यम से किया जा रहा है। इसमें ठाणे क्रीक पर 7 किलोमीटर की समुद्र के नीचे सुरंग भी शामिल है।

यहां निर्माण कार्य पहले ही शुरू हो चुका है

उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार एडीआईटी (ADIT) (अतिरिक्त संचालित मध्यवर्ती सुरंग) पोर्टल:394 मीटर लंबी एडीआईटी सुरंग मई 2024 (रिकॉर्ड समय 6 महीने) में पूरी हो चुकी है। इससे शिलफाटा के अतिरिक्त उत्खनन कार्य के लिए दो अतिरिक्त एनएटीएम फेस की सुविधा मिल गई है। इस अतिरिक्त पहुंच के कारण 1,111 मीटर (बीकेसी/एन1टीएमकीओर 1562 मीटरमेंसे 622 मीटरऔरअहमदाबाद/एन2टीएमकीओर 1628 मीटरमेंसे 489 मीटर) सुरंग बनाने का काम पूरा हो चुका है।

11 मीटर X 6.4 मीटर आयाम वाला एडीआईटी निर्माण और संचालन के दौरान मुख्य सुरंग तक वाहनों की सीधी पहुंच प्रदान करेगा और आपातकालीन स्थिति में निकासी प्रक्रिया के लिए भी इसका उपयोग किया जा सकता है।

 

मुंबई एचएसआर स्टेशन निर्माण स्थल पर शाफ्ट 1: शाफ्ट की गहराई 36 मीटर, खुदाई का काम अभी चल रहा है

विखरोलीमें शाफ्ट 2:56 मीटर की गहराई का शाफ्ट पूरा हो गया है।

इस शाफ्ट का उपयोग दो सुरंग खोदने वाली मशीनों को दो अलग-अलग दिशाओं में उतारने के लिए किया जाएगा, एक बीकेसी की ओर और दूसरी अहमदाबाद की ओर।

सावली में शाफ्ट 3 (घंसोली के पास): 39 मीटर की शाफ्ट गहराई पूरी कर ली गई है।

शिलफाटा में सुरंग पोर्टल:यह सुरंग का एनएटीएम छोर है। पोर्टल का काम पहले ही पूरा हो चुका है और 1628 मीटर (एन3टीएम) में से 602 मीटर सुरंग का काम अब तक पूरा हो चुका है।

सुरंग खुदाई कार्यों के दौरान बरती जा रही सावधानियां

  • सुरंग के अंदर पर्याप्त वेंटिलेशन सुनिश्चित किया जा रहा है, जिससे सुरंग स्थलों के अंदर सुरक्षित और हवादार कार्यबल सुनिश्चित किया जा रहा है
  • सभी उत्खनन सामग्री का निपटान राज्य सरकार के निर्देशानुसार किया जा रहा है
  • सुरंग स्थलों के आसपास की संरचना/इमारतों की लगातार मॉनिटरिंग की जाती है
  • झुकाव, अवसादन, कंपन, दरारें और विरूपण की मॉनिटरिंग के लिए निर्माण स्थलों पर और उसके आसपास विभिन्न प्रकार के भू-तकनीकी उपकरण जैसे कि इनक्लिनोमीटर, कंपन मॉनिटर, ग्राउंड सेटलमेंट मार्कर, टिल्ट मीटर आदि स्थापित किए गए हैं।ये उपकरण यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि न तो चल रहे भूमिगत कार्यों जैसे कि खुदाई और सुरंग निर्माण, और न ही साइट के आसपास की संरचनाओं को कोई खतरा हो।

सुरंग लाइनिंग के लिए कास्टिंग यार्ड:

16 किलोमीटर टीबीएम हिस्से के लिए सुरंग लाइनिंग की ढलाई के लिए एक डेडिकेटेड कास्टिंग यार्ड महापे में पहले से ही चालू है। 7,700 रिंग बनाने के लिए 77,000 खंडों को ढाला जाएगा। सुरंग की लाइनिंग के लिए विशेष रिंग खंड ढाले जा रहे हैं, प्रत्येक रिंग में नौ घुमावदार खंड और एक प्रमुख खंड शामिल हैं, प्रत्येक खंड 2 मीटर चौड़ा और 0.5 मीटर (500 मिमी) मोटा है।

बेहतर संरचनात्मकताऔर दीर्घकालिक स्थायित्व सुनिश्चित करने के लिए उच्च श्रेणी एम70 ग्रेड कंक्रीट का उपयोग किया जा रहा है। कास्टिंग और स्टैकिंग यार्ड, महाराष्ट्र के ठाणे जिले के महापे में 11.17 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। यार्ड में साँचे के नौ सेट होंगे, प्रत्येक में दस टुकड़े होंगे।

अन्य विवरण:

  • सेगमेंट की कास्टिंग के बाद स्टीम क्योरिंग की व्यवस्था। क्योरिंग कंपाउंड के साथ अंतिम क्योरिंग।
  • प्रत्येक रिंग में स्टील रीइन्फोर्समेंट की मात्रा: 368 मीट्रिक टन
  • प्रत्येक रिंग में कंक्रीट की मात्रा: 6 घन मीटर
  • किनारों पर दरार को नियंत्रित करने के लिए जीएफआरपी (ग्लास फाइबर रीइनफोर्समेंट पॉलीमर) बार का उपयोग
  • यार्ड में बैचिंग प्लांट: 3, प्रत्येक की क्षमता: 69 घन मीटर/घंटा
  • यार्ड में अत्याधुनिक क्यूए-क्यूसी प्रयोगशाला में स्थायित्व पैरामीटर की जांच करने की सुविधाएं हैं

यार्ड में कास्टिंग कार्यों को स्वचालित और मशीनीकृत करने के लिए विभिन्न क्रेन, गैंट्री और मशीनें लगी हुई हैं, जिससे सेगमेंट की कास्टिंग और स्टैकिंग के दौरान उच्च गुणवत्ता का आश्वासन सुनिश्चित होता है। इसके अतिरिक्त, इस सुविधा में कास्टिंग शेड, स्टैकिंग क्षेत्र, बैचिंग प्लांट और स्टीम क्योरिंग क्षेत्र शामिल होंगे।

 

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