आस्था : भागवत कथा से पितर तृप्त होते है, पूर्णाहुति के दिन कई प्रसंगों की हुई व्याख्या, सुदमा चरित्र की सचेतन झांकी ने किया मंत्रमुग्द - Nidar India

आस्था : भागवत कथा से पितर तृप्त होते है, पूर्णाहुति के दिन कई प्रसंगों की हुई व्याख्या, सुदमा चरित्र की सचेतन झांकी ने किया मंत्रमुग्द

बीकानेर, निडर इंडिया न्यूज।

सूरदासाणी बागेची में चल रही कथा में आज अंतिम दिन कथा वाचक पंड़ित डॉ.गोपाल नारायण व्यास ने सुदामा चरित्र के प्रसंग की व्याख्या की, तो पूरा पंडाल भावविभोर हो गया। कथा मंच पर कृष्ण-सुदामा की सचेतन झांकी साकार हुई। समाज सेवी दिवंगत हनुमान दास व्यास (पहलवान साहब) की स्मृति में चल रही श्रीमद भागवत कथा में पंडित गोपाल नारायण व्यास ने मित्रता के महत्व पर प्रकाश डाला।

उन्होंने कहा कि मित्रता करो तो कष्ण सुदामा सरीखी ही करनी चाहिए। यही सच्ची मित्रता है। उन्होंने भगवान कृष्ण और रुक्मणी विवाह, भगवान के 24 अवतार की कथा का सुनाया। उन्होंने कहा कि विवाह सरीखे मांगलिक कार्य में फिजूलखर्ची करने बजाय गौ सेवा करनी चाहिए।

(जिला एवं सत्र न्यायाधीश) बुलाकी दास  व्यास ने बताया है आज शिवकिशन  अग्रवाल( फना  बाबू)का सम्मान किया गया। साथ ही विश्व बंधु पुरोहित ( जिला एव सत्र न्यायाधीश) उमेश बोहरा, सुरेंद्र चूरा, श्याम सुंदर, सीए महेंद्र चूरा, गोपाल कृष्ण हर्ष, बृजराज जोशी, मधुसूदन पुरोहित, देशबंधु, राष्ट्रीय बंधु   भवानी रंगा,अशोक बिस्सा,मोहित रंगा, विजय रंगा आदि मौजूद रहे।

 

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