बीकानेर,निडर इंडिया न्यूज।
“बाब रे दरबार में बाजे मार घमाघम…बाबा एकर तो दरबार में बुलाए लिजे रे…सरीखे भजनों के रचियता और गायक रफीक सागर ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया। बीकानेर के ख्यातिनाम गायक रफीक सागर ने अपनी गायन शैली से देशभर में नाम कमाया। भजन, गजल और फिल्मी संगीत में अपनी छाप छोड़ी। रफीक सागर ने हिन्दी फिल्म क्षत्रिय में “सपने में सखी, देख्यो नंद गोपाल” से देशभर और फिल्मी दुनिया में खासी पहचान कायम की। बताया जा रहा है कि हृदय गति रूकने से रफीक सागर का निधन हो गया। अपने चहेते गायक के निधन के समाचार सुनते ही शहर में शोक की लहर दौड़ गई।
पुत्र राजा हसन को मिला फिल्म फेयर
गौरतलब है कि रफीक सागर ख्यातिनाम गायक राजा हसन के पिता हैं, जिन्हें 1 हफ्ते पहले ही फिल्मफेयर ओटीटी अवार्ड 2024 से नवाजा गया है। राजा ने हीरामंडी के गाने में अपना स्वर दिया था। बीकानेर के शीतला गेट स्थित मोहल्ला दमामियांन में पैदा हुए रफीक सागर को संगीत का माहौल विरासत में मिला. उनके पिता मरहूम अल्लाह रखे खां खुद बहुत अच्छे गायक थे। उन्हीं के कदमों में बैठ कर रफीक सागर ने संगीत की बारिकियां सीखी थी। रफीक सागर अपनी गजलों, गीतों के जितने जाने जाए हैं, उतने ही अपने भजनों के लिए भी याद किए जाएंगे।