कोलकाता : दीपावली एक नवंबर को ही शास्त्रोचित, महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती ने कहा, पंचाग प्रकाशक पंडि़त दाऊलाल ओझा से हुई वाता, बीकानेर के पंडि़तों के निर्णय को ठहराया उचित... - Nidar India

कोलकाता : दीपावली एक नवंबर को ही शास्त्रोचित, महामंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती ने कहा, पंचाग प्रकाशक पंडि़त दाऊलाल ओझा से हुई वाता, बीकानेर के पंडि़तों के निर्णय को ठहराया उचित…

कोलकाता.बीकानेर, निडर इंडिय़ा न्यूज।
दीपावली पर्व को लेकर चल रहे असमंजस के बीच आज धर्म सागर पंचाग के प्रकाशक पंडि़त दाऊ लाल ओझा(झालापट्टा यागिक सम्राट) ने दूरभाष पर बीकानेर के राजगुरू पीठाधीश्वर, आचार्य महा मंडलेश्वर स्वामी विशोकानंद भारती महाराज से लंबी वार्ता की। कोलकाता से पंडि़त दाऊलाल ओझा(झालापट्टा यागिक सम्राट) ने निडर इंडिया न्यूज के सम्पादक रमेश बिस्सा को दूरभाष पर वार्तालाप के मुख्य तथ्य साझा किए।

विशोकानंद भारती ने यह दिया संदेश
वार्ता के मुख्य तथ्यों के अनुसार स्वामी विशोकानंद भारती ने साफतौर पर कहा है कि देश में जहां भी बीकानेरवासी प्रवास कर रहे हैं, उन्हें 1 नवंबर को ही दीवाली मनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि यही शास्त्रोचित है। विशोकानंद भारती महाराज ने इसके लिए बीकानेर और कोलकाता के विद्वान पंडि़तों के निर्णय का स्वागत किया।

उन्होंने कहा कि इसमें किसी तरह का भ्रम रहना ही नहीं चाहिए, क्योंकि धर्म सागर पंचांग बीकानेर से परंपरागत ओझा घराने से प्रकाशित होता है। इसी तरह बीकानेर के विद्वानों पिछले दिनों जो निर्णय किया था, वो शास्त्र सम्मत है। वर्तमान समय में धर्मसागर पंचाग के अशोक ओझा (राजा) पंचांग के प्रधान गणित कर्ता है साथ ही पंडि़त दाऊ ओझा (झालापट्टा यागिक सम्राट) धर्म सागर पंचांग का प्रकाशन का कार्य संभाल रहे है। (वहीं पूर्व में बीकानेर से परंपरागत ओझा घराने से मोतीलाल ओझा एवं भागीरथ ओझा ने वसुदेव कृष्ण धर्म सागर पंचांग का प्रकाशन शुरू किया था। आज 55 साल से निरंतर चल रहा है) ऐसे में समस्त बीकानेर वासियों के साथ समस्त सनातन धर्म प्रेमी जनों को और बीकानेर प्रवासियों को 1 नवंबर को ही दीपावली का पावन पर्व मनाना चाहिए। कोलकाता के विद्वानों ने रखा था मत बीते दिनों कोलकाता में प्रवास कर रहे बीकानेर के विद्वानों ने भी एक मत और एक स्वर में सर्वसम्मति से एक नवंबर को दीवाली मनाने का निर्णय किया था।

इस दौरान सभी बीकानेर के विद्वानों के निर्णय का समर्थन किया था। इस दौरान कोलकाता प्रवासी पंडि़त जितेन्द्र आचार्य ज्योतिषाचार्य, पंडि़त मनीष पुरोहित(राधे पंचांग) सुरेन्द्र ओझा, शिव किशन किराडू, संजय बिस्सा, विश्वनाथ व्यास, नवरतन कल्ला, शिव प्रकाश ओझा भागवत रषज्ञ, शिव कुमार किराड़ सहित पंडि़तों ने सर्वसम्मति से निर्णय किया था। इसी तरह बीकानेर में पंचागकर्ता पंडि़त राजेन्द्र किराड़ू, पंडि़त गोपाल नारायण व्यास(गटिया महाराज) पंडि़त महेन्द्र व्यास, पंडि़त अशोक ओझा नानकाणी, पंडित अशोक ओझा चौथाणी, पंडि़त सुशील किराड़ू, पंडि़त ब्रजेश्वर लाल व्यास ने पंचागों के प्रमाण सहित तर्क रखते हुए दीवाली एक नवंबर को मनाए जाने की बात कही थी।

आज पंडि़त दाऊ लाल ओझा से स्वामी विशकोनंद भारती ने वार्ता के दौरान कहा कि बीकानेर और कोलकाता में प्रवास कर रहे विद्वानों ने जो एक राय होकर निर्णय किया है। उसे सर्व सम्मति से मानते हुए समस्त सनातन धर्म प्रेमियों को एक नवंबर को भी दीवाली मानानी चाहिए, जो शास्त्र को मानते हैं, उन्हें तो एक नवंबर को ही मनानी है। जो लोग ३१ अक्टूबर की बात कर रहे हैं, वो महज भ्रम ही फैला रहे हैं, उनके पास प्रमाण नहीं है।

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