आस्था : पुष्य नक्षत्र कल, खरीदारी का अमृतसिद्धि योग, बता रहे पंड़ित राजेन्द्र किराड़ू, देखें वीडियो - Nidar India

आस्था : पुष्य नक्षत्र कल, खरीदारी का अमृतसिद्धि योग, बता रहे पंड़ित राजेन्द्र किराड़ू, देखें वीडियो

 

बीकानेर, निडर इंडिया न्यूज। 

दीपावली से पूर्व गुरुवार को इस बार पुष्य नक्षत्र है। इस दिन खरीदारी का योग्य रहता है। इस पुष्य नक्षत्र पर विशेष योग बन रहे हैं। पंचागकर्ता पंड़ित राजेन्द्र किराड़ू के अनुसार ज्योतिषशास्त्र में सताईस नक्षत्र हैं। उसमें पुष्य नक्षत्र सिद्ध नक्षत्र कहा जाता है । कर्कराशि में 3 अंश 20 कला से 16 अंश 4 कला तक पुष्य नक्षत्र समाया हुआ है। यह अंधा नक्षत्र है । वह पुष्प जैसा दिखता है। उनके देवता देवगुरु बृहस्पति है । पुष्य नक्षत्र में जन्मे बच्चे का नाम हु-हे-हो-हा अक्षरों से रखा जाता है। हमारी संस्कृति मे हर कार्य में शुभ मुहूर्त देखा जाता है । पुष्य नक्षत्र हर कार्य के लिये शुभ नक्षत्र है।

किराड़ू के अनुसार  विवाह कार्य के लिये यह नक्षत्र वर्जित है। शास्त्रों के अनुसार इस नक्षत्र ने ब्रह्माजी पर बाण छोड कर ब्रह्माजी को व्यथा उत्पन्न की थी। अतः इस नक्षत्र कोअतिकामद होने का श्राप मिला। इसलिये इस नक्षत्र में विवाह कार्य नहीं होता। विवाह कार्य को छोडकर पुष्य नक्षत्र में कोई मंत्र सिद्ध करना हो, कोई यंत्र सिद्ध करना हो या कोई देवी देवताओं को प्रसन्न करना हो तो तत्काल सिद्ध होता है।

गुरुवार आए तो पुण्य योग…

पंड़ित किराड़ू ने बताया कि पुष्य नक्षत्र में गुरुवार आए तो पुण्य योग बनता है। वह अति सिद्धिदायी माना जाता है। उसे गुरुपुष्यामृत योग भी कहते हैं। उस में दशमी हो तो श्रेष्ठ सिद्धिदायी योग बनता है। यह नक्षत्र में मंगलवार आये तो मंगलपुष्यामृत योग कहा जाता है। यह योग भी उत्तम योग है। यह नक्षत्र में सुख, शांति, ज्ञान, विद्या, कला, शिल्प, पुण्यकार्य, औषधियाँ वगैरह कार्य तुरन्त सिद्ध होते हैं। यह नक्षत्र में सोना-चांदी खरीदने से संपत्ति में बढोत्तरी होती है। तंत्रशास्त्रो में पुष्यनक्षत्र को शीघ्र फलदायी माना है । उस दिन श्वेत विकरण का मूल ला कर, लाल कपडे में लपेटकर दाहिनी बांह पर बांधने से सुख-समृद्धि मिलती है।

ग्रह होते है शांत…

गुरुपुष्यामृत योग में तकलीफ देने वाले ग्रहों का शांति पाठ करने से वह ग्रह तत्काल शांत हो जाते हैं और मनुष्य दुःखमुक्त होता है। यह योग में तकलिफ देने वाले ग्रहों का रत्न सिद्ध किया जाय तो वह भी तुरन्त सिद्ध होते हैं और मनुष्य को शीघ्र फलदाता बनते है। गुरुपुष्यामृत योग में श्राद्ध करेने से पितृओं ज्यादा प्रसन्न होते हैं।

यह भी करने के लिए उत्तम समय…

गुरुपुष्यामृत योग में मंदिर पर ध्वजा चढानी हो, शिवजी पर या श्रीयंत्र पर अभिषेक करना हो, मांगलिक कार्य करना हो, दानपुण्य करना हो, महामृत्युंजय जैसे मंत्रो का जाप करना हो; दुर्गादेवी, सूर्यदेव, नवग्रह, वगैरह देवी-देवताओं को प्रसन्न करना हो तो यह योग अति उत्तम माना जाता है।

 

 

 

 

 

 

 

 

Share your love
Facebook
Twitter

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *