रमेश बिस्सा

बीकानेर, निडर इंडिया न्यूज।
लोक-भजन गायक, संगीतज्ञ रामस्वरूप दास ने कहा है कि कबीर तो उनके जीवन में रचे-बसे है। इसका लाभ भी मिल रहा है। बीकानेर आए रामस्वरूप दास ने “निडर इंडिया न्यूज” से खास बातचीत में कहा कि यहां वो कबीर यात्रा में आए थे, उन्हें बहुत अच्छा लगा। मुझे तो कबीर साब के नाम से ही प्यार है। बीकानेर का जो क्षेत्र है वो बड़ा सौभाग्यशाली है। यहां दूर-दूर से कलाकार आते हैं। कबीर की वाणी, भजन और शबद गाना उनके लिए सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा कि आज के वर्तमान में समय में कबीर के संदेशों की जरुरत दुनिया को है।

विरासत में मिला है संगीत:
रामस्वरूप ने बताया कि उनके प्रथम गुरू उनके पिता काशीराम है। उनके आशीर्वाद से ही संगीत का प्रारम्भिक सफर शुरू हुआ। उन्होंने बताया कि संगीत तो विरासत में ही मिला है। रामस्वरूप ने बताया वो लोक संगीत शैली का गायन करते हैं। इनमें निर्गुण, सर्गुण, भजन गायन करते हैं। इसमें शास्त्रीय संगीत भी है।
सुनने वाले भी फास्ट, देश में माहौल है
देश महानगर मुम्बई, दिल्ली, पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, यूपी, एमपी सहित कई शहरों में अपने फन का जादू बिखेर चुके रामस्वरूप बताते है कि वर्तमान में देश में संगीत का अच्छा माहौल है। आज छोटे-छोटे बच्चे अपनी प्रतिभा दिखा रहे हैं, अच्छे गुरुजनों से उन्हें तालिम मिल रही है। संगीत का प्रचार-प्रसार भी हुआ है। सुनने वाले है वो भी फास्ट है, गाने वाले भी फास्ट। इसे गहराई से सुना और समझा जाने की जरुरत है।
विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है राजस्थान की शैली
रामस्वरूप दास ने बताया कि आज देश-विदेश में कहीं पर जाओ, राजस्थान की मिट्टी की सौंधी खुशबू लिये राजस्थानी मांड, मूमल, गोरबंध सहित लोक गीतों को लोग काफी पसंद करते हैं। राजस्थानी की गायन शैली में एक अनूठी मिठास है, यहां के लोक गीतों में संस्कृति बसती है। विदेश के लोग भी राजस्थानी गायन शैली को बहुत पसंद करते हैं। रामस्वरूप ने कहा कि लोगों को सुरीला संगीत ही सुनना चाहिए। सुरीला ही बोलना चाहिए।
लोक संगीत में महाराथ
गौरतलब है कि सीकर के समीप अजीतपुरा गांव की पैदाईश रामस्वरूप दास ने खेलने की उम्र में ही हारमोनियम पर स्वर छेड़ने लगे थे। आज देश के ख्यातिनाम लोक गायकों में शुमार है। खासकर राजस्थानी लोक गीतों, कबीर, मीरा सहित संतों की वाणियां, भजनों को बेहद अनूठी शैली में सुनाते हैं।

