बीकानेर, Nidarindia.com
बारिश के मौसम में मलेरिया और डेंगू का डर सताने लगा है। बारिश के बाद से ही मच्छर जनित रोग फैलने लगते हैं। डेंगू के डंक से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग भी अब डिजिटल तकनीक के माध्यम से नियंत्रण किया जाएगा।
मच्छरों के प्रजनन स्थलों पर ब्रीडिंग रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने ओडीके एप के तीन वैरिएंट तैयार करवाए है। ओडीके ऐप-वैक्टर बोर्न डिजीज, ओडीके ऐप-सुधार और ओडीके ऐप-मरूधर। सीएमएचओ डॉ. राजेश कुमार गुप्ता ने बताया कि ऑडीके एप कई वर्षों से मातृ शिशु स्वास्थ्य और चिकित्सा संस्थानों की मॉनिटरिंग में सफलता पूर्वक उपयोग किया जा रहा है। इसके तीन वेरिएंट डेंगू मलेरिया रोकथाम के लिए तैयार किए गए हैं।
ओडीके एप-वैक्टर बोर्न डिजीज के माध्यम से फील्ड स्टाफ ठहरे और खुले पड़े पानी के स्रोत जहां मच्छर पनपते हैं, की फोटो खींचकर जीओ टेगिंग (लोकेशन) के साथ एप पर अपलोड करते है। इससे स्वायत्त शासन विभाग व पंचायतीराज विभाग को वस्तुस्थिति का पता लगता है। ये विभाग मच्छरों की रोकथाम के लिए स्रोत का सफाया, एमएलओ, बीटीआई आदि का छिडक़ाव जैसे क्रियाकलाप करते है।
ओडीके एप सुधार से ऐसे हो रहा सुधार…
डिप्टी सीएमएचओ स्वास्थ्य डॉ.लोकेश गुप्ता ने बताया कि सडक व अन्य स्थान पर गड्ढ़ों में पानी भरने, खाली प्लॉट में कचरा/पानी होने, बड़े जल स्रोतों (तालाब/पोखर/बावडी) में कचरा/गंदगी होने, घर के बाहर पानी के अन्य स्रोत टंकी, मटका, टायर, डिब्बा आदि में लार्वा की उपस्थिति और अन्य स्थान/पात्र जहां जमा पानी की वस्तु स्थिति ऑडीके सुधार एप के माध्यम से नगर निगम, नगर पालिका व पंचायत तक पहुंच जाती है। वे इसका निवारण कर ओडीके सुधार ऐप में शिकायतों से पूर्व का फोटोग्राफ व निस्तारण के पश्चात् का फोटोग्राफ जिओ टेगिंग के साथ अपलोड करते हैं जिससे शिकायत निवारण की पुष्टि होती है।
घर-घर मच्छरों की रोकथाम
डॉ.गुप्ता ने बताया कि घरों के अन्दर मच्छरों के प्रजनन पर नियंत्रण डोमेस्टिक ब्रीडिंग चैकर (डीबीसी) की ओर से ओडीके एप मरूधर के माध्यम से किया जा रहा है। इस एप की मदद से घरों के अन्दर की जाने वाली एन्टीलार्वल, एन्टीएडल्ट व सोर्स रिडक्शन की गतिविधियों की रिपोर्ट जिओ टेगिंग के साथ की जाती है।
इसकी मॉनिटरिंग राज्य व जिला स्तर पर की जाएगी। जिले में डीबीसी रखे जाने की प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की गई है। डीबीसी की ओर से घरों के अन्दर की गई गतिविधियों के विश्लेषण के आधार पर उच्च जोखिम क्षेत्रों की पहचान की जा सकेगी। जिन क्षेत्रों में जहां मच्छर के लार्वा का घनत्व (एचआई/बीआई) मानक से अधिक होगा वहां टीम भेजकर मच्छररोधी गतिविधियां करवाई जाएगी। यथा संभव शिकायतों का मौके पर ही निस्तारण किया जाएगा। मौके पर निस्तारण संभव नहीं होगा तो शिकायतों के सम्बंध में संभावित तिथि शिकायतकर्ता को बताई जाएगी।