बीकानेरNidarindia.com
निजी वाहन, बसें, लोक परिवहन बसें रोडवेज की आय में रोड बन गए है। इनके चलते रोडवेज को घाटा वहन करना पड़ रहा है। रोडवेज के निर्धारित रुटों पर निजी बसों का बोलबाला है। यात्रियों को बिठाने को लेकर आए दिन विवाद भी होते हैं। निर्धारित बस स्टैण्ड होने के बावजूद निजी बसें, अवैध वाहन, लोक परिवहन की बसें रोडवेज बस स्टैण्ड के समीप से ही यात्रियों को लेते है। राजस्थान मोटर वाहन नियम के तहत निजी वाहनों के बस स्टैण्ड रोडवेज से 2 से 5 किमी की दूरी पर ही घोषित किए जाने के निर्देश है, लेकिन इसकी पालना नहीं होती यही वजह है कि आए दिन इस आपस में विवाद होते है। निजी बसों के संचालक रोडवेज में बैठने वाले यात्रियों को जबरन अपनी बसों में बिठाने का प्रयास करते है। यह हालात प्रदेशभर में कई जिला में है।
बीते दिन यात्रियों को बिठाने की बात को लेकर बीकानेर में निजी बस संचालकों ने रोडवेज के ऑन ड्यूटी चालक और परिचालक के साथ मारपीट की थी। जानकारी के अनुसार रोडवेज के प्रत्येक रुट पर निजी वाहनों की भरमार है। खासकर लोक परिवहन की बसें रोडवेज के सामान्तर समय और रुट पर ही चलती है। इस कारण गला काट प्रतिस्पर्धा रहती है।
क्या कहता है नियम…
राजस्थान मोटर वाहन नियम 1990 के 8.1 के तहत प्रावधान दिया गया है कि जिला कलक्टर और जिला मजिस्ट्रेट अपने अधिकार क्षेत्र में संचालित होने वाले वाहनों और वाहनों की श्रेणियों को जनहित में किसी भी विनिर्दिष्ट क्षेत्र में संचालन के लिए प्रतिबंधित कर सकते है। इसके तहत निजी वाहनों के स्टैण्ड राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम के बस स्टैण्ड से 2 से 5 किमी दूरी पर ही घोषित किए जाने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन यदि बीकानेर आगार की ही करें तो यहां पर बीकानेर-श्रीगंगानगर, बीकानेर-जयपुर, बीकानेर-खाजूवाला, बीकानेर-नोखा सहित मार्गों पर अवैध वाहनों की भरमार है। रोडवेज कामिकों की माने तो इन मार्गों पर अवैध वाहनों के अलावा लोक परिवहन वाहन भी रोडवेज के लिए बड़ी चुनौती है। यह बिना समय सारणी के अपने वाहनों को रोडवेज के निर्धारित समय में रोडवेज के आगे-आगे संचालित करते है। इस कारण रोडवेज को राजस्व का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
नहीं है स्थायी हल
राजस्थान रोडवेज के श्रमिक संगठनों का संयुक्त मोर्चा कई बार इस समस्या को उठा चुका है। जिला प्रशासन, परिवहन विभाग, पुलिस प्रशासन तक में निजी वाहनों के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा चुके है। इसके बावजूद हालात जस के तस ही है। अवैध वाहनों का संचालन बदस्तुर जारी है। रोडवेज की माली हालात खराब होती जा रही है। परिवाहन विभाग या जिला प्रशासन की ओर से स्थायी हल इस समस्या का अभी तक नहीं निकला है।
समय पर नहीं मिलती पेंशन
घाटे से जूझ रही रोडवेज के सामने कर्मचारियों का वेतन और पेंशन चुकाना ही चुनौती है। सरकार से नियमित रूप से अनुदान नहीं मिलता, तो जो सेवानिवृत हो चुके कर्मचारी है उनको समय पर पेंशन ही नहीं मिल पा रही है। वहीं बड़ी संख्या में ऐसे कर्मचारी है, जिनको सेवानिवृत्त हुए समय बीत गया, लेकिन उनको एरियर सहित अन्य परिलाभ आज तक नहीं मिला। इसको लेकर भी कर्मचारी समय समय पर बात उठाते हैं, लेकिन सिवाय आश्वासन के उनको कुछ नहीं मिलाता।
बेडे़ में 91 बसें
रोडवेज के बीकानेर आगार की ही बात करें तो यहां रोडवेज के बेडे़ में वर्तमान में करीब 91 बसें है, जिनमे से 35 अनुबंधित है, शेष रोडवेज की है। यह बसें भी काफी पुरानी हो चुकी है, लेकिन नई बसें अभी भी नहीं मिली।
यह बोले श्रमिक नेता…
“निजी वाहनों के संचालन के लिए नियमानुसार कार्रवाई होनी चाहिए। जहां पर सरकार की ओर से निर्धारत बस स्टैण्ड है, वहीं पर इनको खड़ा किया जाना चाहिए। सबसे से अहम है अवैध वाहन संचालकों के नकेल कसनी चाहिए। आरटीओ, पुलिस प्रशासन को चाहिए कि वो इनकी निगरानी करें और इन पर कार्रवाई भी करें, ताकि रोडवेज को घाटे से बजाया जा सके। साथ ही नई बसें मिलनी चाहिए। सरकार को चाहिए कि समय पर अनुदान दें, इससे कर्मचारियों को पेंशन और वेतन समय पर मिल सके “
गिरधारी लाल, श्रमिक नेता, रोडवेज संयुक्त मोर्चा संगठन