जयपुरNidarindia.com
प्रदेश में उपचुनाव को लेकर सियासी पारा गर्म हो गया है। लोकसभा चुनाव में प्रदेश के पांच विधायकों ने लोकसभा चुनावों में जीत दर्ज की है। इसके बाद अब पांच सीटे खाली हो गई। इन विधायकों ने अपना इस्तीफा राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को सौंप दिया। वहीं, अब इन पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव को लेकर तैयारी शुरू हो चुकी है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इन पांच सीटों में झुंझुनूं, दौसा, चौरासी, देवली-उनियारा और खींवसर की सीट शामिल हैं। वहीं, इन पांच विधायकों में से तीन विधायक कांग्रेस के, 1 आरएलपी और एक भारतीय आदिवासी पार्टी के हैं। जिस वजह से यह उपचुनाव बीजेपी के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं होगा। लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी का प्रदर्शन प्रदेश में कुछ खास नहीं रहा है। लोकसभा की 25 सीटों में से बीजेपी ने 14 सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 25 में से 25 सीटों पर कब्जा किया था।
इन सीटों के विधायकों ने दिया इस्तीफा…
गौरतलब है कि झुंझुनूं से कांग्रेस के बृजेंद्र ओला, दौसा से कांग्रेस के मुरारीलाल मीणा, देवली-उनियारा से कांग्रेस के हरिश्चंद मीणा ने इस्तीफा दिया है। वहीं, खींवसर से आरएलपी अध्यक्ष हनुमान बेनीवाल ने और चौरासी से भारतीय आदिवासी पार्टी के नेता राजकुमार रोत ने इस्तीफा दिया। इन सभी विधायकों ने लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की है। जिसके बाद विधायक पद से इस्तीफा दे दिया गया।
इस तरह से बन सकते है समीकरण…
प्रदेश के उपचुनाव में कांग्रेस का पलड़ा भारी पड़ सकत है। चाहे राज्य में कांग्रेस की सरकार हो या ना हो, उपचुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन बीजेपी की तुलना में अच्छा रहा है। गौरतलब है कि 2014-2017 के बीच कांग्रेस के 17 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसमें से 12 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। ये डेटा बीजेपी की चिंता बढ़ा सकते हैं। वहीं, प्रदेश में सत्ता की कमान संभाल रहे मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के सामने उपचुनाव एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार झुंझनूं, दौसा और देवली-उनियारा सीट कांग्रेस की मानी जाती है। झुंझनूं सीट कांग्रेस की परंपरागत सीट है। आखिरी बार वर्ष, 2003 में कांग्रेस यहां से चुनाव हारी थी। वहीं, दौसा और देवली-उनियारा गुर्जर-मीणा व मुस्लिम बाहुल्य वाली सीट है। खींवसर और चौरासी सीट जाट और मुस्लिम बाहुल्य सीट मानी जाती है। इन सीटों पर जीत दर्ज करना बीजेपी के लिए आसान नहीं होने वाला है।