बीकानेरNidarindia.com
वरिष्ठ अधिवक्ता और भाजपा नेता ओम आचार्य का गुरुवार रात को निधन हो गया। आचार्य बीते कई दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे।
शुक्रवार को सुबह आचार्य चौक से उनकी अंतिम यात्रा निकाली गई। चौखूंटी स्थित मुक्तीधाम में आचार्य का अंतिम संस्कार किया गया। आचार्य के जेष्ठ पुत्र एडवोकेट जगदीश आचार्य ने उनको मुखाग्रि दी। ओम आचार्य की अंतेष्ठी में नगर के गणमान्य लोग शामिल हुए। आचार्य के पार्थिव शरीर पर केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल की तरफ से पुष्प चक्र व शहर भाजपा संगठन की और से भाजपा का झंडा ओढ़ाकर श्रद्धांजलि दी गई।
इस दौरान नगर विधायक जेठानंद व्यास, भाजपा शहर अध्यक्ष विजय आचार्य, देहात अध्यक्ष जालमसिंह भाटी, भाजपा के महामंत्री मोहन सुराना, गोकुल जोशी, शशि शर्मा, नंद किशोर सोलंकी, सत्यप्रकाश आचार्य, पार्षद किशोर आचार्य, अनिल आचार्य, राजकुमार किराड़ू, अखिलेश प्रताप सिंह, गोपाल गहलोत, प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र के बनवारी लाल शर्मा सहित बड़ी संख्या में भाजपा के पदाधिकारी और कार्यकर्ता शामिल हुए। वहीं पूर्व काबिना मंत्री डॉ.बीड़ी कल्ला, कन्हैयालाल कल्ला, अखिल भारतीय पुष्किर सेवा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रूपकिशोर व्यास, बड़ी संख्या में अधिवक्ता भी शामिल हुए।
पार्टी में छाई शोक की लहर…
देर शाम आचार्य के निधन का समाचार मिलते ही उनके समर्थको व भाजपा में शोक की लहर छा गई। कई वरिष्ठ नेताओं ने आचार्य के निधन पर संवेदना जताई है। केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने दूरभाष पर परिवारजनों से बात कर ढांढस बंधाया और कहा ओम आचार्य तपस्वी और सच्चे साधक थे, उन्होंने कहा कि आचार्य के निधन से पूरे प्रदेश के भाजपा कार्यकर्ताओं में शोक है।
आचार्य के परिवार के लिए यह दुख की घड़ी है ओमजी जीवन भर आदर्श व्यक्तित्व रखने वाले व्यक्ति बने रहे वह युवाओं के रोल मॉडल थे आचार्य हम सब के लिए जीवन भर प्रेरणा-स्रोत बने रहेंगे। विधायक जेठानंद व्यास ने कहा जनसंघ के समय से हम ओम आचार्य को देखते आ रहे है, आचार्य का असामयिक निधन भाजपा के लिए क्षति है।
गौरतलब है कि ओम आचार्य ने 1980 व 1989 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के रूप चुनाव मैदान में उतरे थे। हालांकि वह मामूली अंतर से ही चुनाव हारे। उसके बाद पार्टी ने उन्हें बीकानेर लोकसभा क्षेत्र से भी एक बार अपना उम्मीदवार बनाया। यह वो दौर था जब भाजपा से लोकसभा का टिकट लेने के लिए एक भी दावेदार सामने नहीं आया। उस समय ओम आचार्य ने भाजपा का टिकट लेकर गांव गांव प्रचार किया।
उस चुनाव में माकपा नेता श्योपत सिंह चुनाव जीते थे लेकिन उनके सामने दो नंबर ओम आचार्य ही रहे। इस तरह ओम आचार्य ने भाजपा को गांव-गांव तक पहुंचाया। वे लंबे समय से सक्रिय राजनीति से दूर भी थे। उनकी राजनीतिक विरासत को उनके भतीजे विजय आचार्य पूरी शिद्दत के साथ निभा रहे हैं। विजय आचार्य अभी शहर भाजपा के जिला अध्यक्ष है। ओम आचार्य आरएसएस के सक्रिय स्वयंसेवक भी रहे और प्रचारक की भूमिका भी निभाई।
जाना पड़ा था जेल…
वरिष्ठ भाजपा नेता ओम आचार्य एक प्रखर नेता थे और वक्ता भी थे। इसी कारण उन्हें दो बार जेल भी जाना पड़ा। वे आपातकाल के दौरान भी जेल में बंद रहे इसके उपरांत राम जन्मभूमि के आंदोलन के दौरान यूपी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर उनाव जेल में डाल दिया था। वे ओजस्वी वक्ता के रूप में खूब चर्चित रहे।