बीकानेरNidarindia.com
प्रिय पाठकों यह बताते हुए आज हर्ष हो रहा है कि आपके अपने न्यूज पोर्टल ‘निडर इंडिया’ ने आज सफलतम दो साल का सफर पूरा कर लिया है। इस सफर में कई बड़ी चुनौतियों के तूफान भी आए, लेकिन निडरता और निष्ठा के साथ पत्रकारिता के प्रति जुनून और जज्बे से हिला नहीं सके। इन दो वर्ष के सफर में कई उतार-चढ़ाव के मोड़ भी आए, मन में जो एक संकल्प लिया उसको पूरा किया। आज के दिन दो साल पहले जिस पौधे को लगाया था, वो वृक्ष बन चुका है।
सहयोगियों की रही भागीदारी…
इस कठिन डगर पर पाठकों और सहयोगियों ने अहम भागीदारी निभाई, यह शायद उनके समर्थन की ताकत थी, जो इस प्रतिस्पर्धा भरे युग में भी ‘निडर इंडिया’ को पूरे जोश, उत्साह और जज्बे के साथ यहां तक ले आई। इसके लिए उन सभी पाठकों, सहयोगियों का साधुवाद।
पत्रकारिता में 28 साल का सफर…
पाठाकों मैंने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना सफर 1996 में ‘दैनिक लोकमत’ से विधिवत शुरू किया था। इसके बाद तो पीछे नहीं देखा, उस समय का वो जूनुन ऐसा था कि आगे से आगे पायदन पर चढ़ता गया। वर्ष 2020 तक प्रिंट मीडिया के क्षेत्र में पूरी निष्ठा और सक्रियता के साथ काम किया।
इस बीच अहम समाचार पत्रों में लंबे समय तक काम करने का आवसर भी प्राप्त हुआ। जहां से इस क्षेत्र की बारिकियां सीखने को मिली, तो कई कड़वे अनुभव भी रहे। हलांकि वहां के अनुभव, मेहनत के बाद वर्ष 2022 तक पहुंचते-पहुंचतेे एक परिकल्पना को साकार रूप दे पाया, जिसका परिणाम है कि आज ‘निडर इंडिया न्यूज पोर्टल’ ने दो साल का सफर भी तय कर लिया है।
बदल रहा है पत्रकारिता का रूप…
बीते दो दशक की बात करें तो पत्रकारिता का रूप तेजी से बदल रहा है। पहले प्रिंट मीडिया की बहुत ज्यादा अहमियत थी, हलांकि यह आगे भी रहेगी, इसके बावजूद आज जमाना डिजिटल हो रहा है। साइबर का युग है। सोशल मीडिया का दौर है। ऐसी स्थिति में समय के साथ चलने के लिए न्यूज पोर्टल एक सशक्त माध्यम पत्रकारिता का बनता जा रहा है। इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता। इन सबके बाद भी एक बात समान है, वो है सच्ची पत्रकारिता के लिए निष्ठा और जज्बे की। उसमें कहीं कमी नहीं रहे, यही आशीर्वाद पाठकों से चाहता हूं।
हमेशा से ही मिला सहयोग…
पत्रकारिता के इस सफर में कई ऐसे साथी भी रहे जिन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से भी पूरा सहयोग और समर्थन दिया।जिन्होंने ‘निडर इंडिया’ के संचालन में तकनीकी रूप से सहयोग किया उनका भी तहदिल से आभार जताता हूं और उम्मीद करता हूं आगे भी इसी तरह से सहयोग मिलता रहेगा। वहीं आशीर्वाद रूपी समर्थन पाठकों से भी मिलता रहे, ऐसी आशा करता हूं। मैं अपनी बात को वरिष्ठ कवि हरिवंशराय बच्चन की इन पंक्तियों के साथ विराम देता हूं।
‘तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
सम्पादक ,निडर इंडिया