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‘खम्भ फाडक़र प्रकट्य भयै हरी, यह अचरज तेरी माया, नाथ कैसे नृसिंह रूप बनाया…भक्त प्रहलाद बचाया…हाथ में कोड़ा लेकर काला लबादा धारण किए हरिणयकश्यप लगातार भक्त प्रहलाद पर वार करने का प्रयास करता रहा।

कई बार हुंकार भरी। कोड़ा फटकारता, आक्रोश में नाचता और लकारता बार-बार प्रहलाद की ओर बढ़ता है, लेकिन उसका वध करने के लिए साक्षात नारायण नृसिंह का रूप धारण खंभ फाडक़र बाहर निकले। यह लीला आज कई गली-मोहल्लों में साकार हुई। अवसर था नृसिंह जयंती पर्व का।
वहीं माहौल में ‘भक्त प्रहलाद की जय…के जयकारें गूंज उठे। इस लीला को देखने के लिए सैकड़ों को लोग डागा चौक, लखोटिया चौक, लालाणी व्यासों का चौक, नत्थूसर गेट बाहर, फरसोलाई, दुजारियों की गली में उमड़ पड़े। डागा चौक में नृसिंह भगवान महेन्द्र रंगा, हरिणकश्यप अशोक शर्मा और भक्त प्रहलाद का स्वरूप गोविन्द किराड़ू ने धरा।

वहीं फरसोलाई मोहल्ला में भगवान नृसिंह रूप में यज्ञेश ओझा, हिरण्यकश्यप महेश छंगाणी, भक्त प्रहलाद मदन व्यास ने स्वरूप धरा। नृसिंह अवतार शाम को गोधुली बेला मे हुआ।
हरिणकश्यप-नृसिंह लीला को लेकर दिनभर मंदिरों में पूजा-अभिषेक के अनुष्ठान हुए। शाम को गोधुली वेला में भगवान नृसिंह ने हरिणकश्यप का वध कर भक्त प्रहलाद को बचाया। अवतार होने के बाद नृसिंह भगवान की आरती हुई। इस दौरान पंचामृत का वितरण किया गया।
फोटो : एसएन जोशी।

