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निजी विद्यालय अब अपनी मनमानी की फीस वसूली नहीं कर सकेंगे। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने दिशा निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने यह आदेश शिक्षा सचिव की अध्यक्षता में 14 मई को हुई बैठक में मिले निर्देशानुसार राज्य में संचालित मान्यता प्राप्त गैर सरकारी विद्यालयों के लिए राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम 1989 एवं नियम 1993 और राजस्थान विद्यालय ( फीस का विनियमन) अधिनियम 2016 एवं 2017 के प्रावधानों की पालना सुनिश्चित करने के लिए सभी मुख्य जिला शिक्षा अधिकारियों, संयुक्त निदेशकों को जारी किए हैं।
इसके अनुसार विद्यालय स्तरीय फीस कमेटी की ओर से अनुमोदित फीस के अतिरिक्त फीस लेना अवैध माना जाएगा। फीस एक्ट के नियमानुसार संबंधित विद्यार्थी,अभिभावक और संरक्षक को अतिरिक्त फीस वापस लौटानी पड़ेगी। साथ ही फीस कमेटी की और से निर्धारित फीस 03 शैक्षिक सत्रों के लिए लागू (आबद्धकारी) होगी।
बिना आवश्यकता (भूतलक्षी) प्रभाव से फीस का निर्धारण नहीं हो सकेगा। आदेश के अनुसार निजी विद्यालय जिस शिक्षा बोर्ड (मा.शि. बोर्ड, राजस्थान,सीबीएसई,सीआईएससीई, सीएआईई आदि) से सम्बद्धता प्राप्त है, उनके नियमों,उपनियमों की पालना करते हुए उनके पाठ्यक्रम के अनुसार प्रकाशित पाठ्य पुस्तकों को विद्यार्थियों के शिक्षण के लिए लागू करनी होगी। जिनकी सूची लेखक, प्रकाशक के नाम और मूल्य के साथ अपने नोटिस बोर्ड, वेबसाइट पर सत्र शुरू होने के क्रम में कम से कम 01 माह पूर्व प्रदर्शित करनी होगी जिससे कि विद्यार्थी और अभिभावक अपनी सुविधानुसार खुले बाजार से क्रय कर सकें।
यह भी करना होगा…
निजी विद्यालय स्तर पर अभिभावक-शिक्षक समागम (पीटीए) गठन एवं विद्यालय स्तरीय फीस कमेटी (एसएलएफसी) के गठन की सूचना सदस्यों के नाम, पता व मोबाइल नम्बर पीएसपी पोर्टल पर अद्यतन करनी होगी। विद्यालय स्तरीय फीस कमेटी की और से अनुमोदित फीस का ब्यौरा पीएसपी पोर्टल पर वर्षवार मदवार मय पीडीएफ बनाकर अपलोड करना होगा।
नियमों की करनी होगी पालना…
स्कूल में पाठ्य सामग्री, स्टेशनरी, यूनिफॉर्म, जूते, टाई बेल्ट आदि की बिक्री के लिए विभाग की और से जारी दिशा-निर्देशों की अनिवार्य रूप से पालना सुनिश्चित करनी होगी।