बीकानेरNidarindia.com
‘आयो झूलण आयो अचो नचो खूशियूं मनायों…उथो जागो अचो खूशियूं मनायूं…सरीखे सिंधी भजनों से आज रथखाना स्थित भगवान झूलेलाल का मंदिर गूंज उठा। सिन्धी गीतों से माहौल सिन्धुमय हो गया। अवसर था चेटीचन्ड पर्व का। इसमें समाज की अलग-अलग संस्थाओं ने भागीदारी निभाई।
संत कंवरराम सिन्धी समाज ट्रस्ट, भारतीय सिन्धु सभा, मातृ शक्ति सतसंग मंडली, जय झूलेलाल युवा सिन्धी मण्डल के संयुक्त तत्वाधान में चेटीचन्ड महोत्सव का आयोजन किया गया। सुबह झण्डारोहण हुआ। इसके बाद झूलेलाल की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक किया गया। इस दौरान ताहिड़ी (मीठे चावल और छोले) का भोग लगाया गया। सिंधी समाज के लोगों ने भजनों से इष्ट देव की अरदास की। दोपहर में सामूहिक भंडारे का आयोजन किया गया। इसमें बड़ी संख्या में लोगों ने भागीदारी निभाई। शाम को कीर्तन व सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें बाल कलाकारों अपनी प्रस्तुति दी।
सतसंग मंडली की कांता हेमनानी, भारती गुवालानी, कमला सदारंगानी, मनुमल, दीपचन्द, रमेश रामदास सदारंगानी आदि ने भजन और गीतों प्रस्तुतियों से समां बांध दिया। के द्वारा इष्ट देव की अरदास की। भंडारे में श्याम वाधवानी, हरीश वलीरमाणी कैलाश गुवालानी आदि ने निस्वार्थ रूप से भागीदारी निभाई।
भारतीय सिंधु सभा के प्रदेश प्रतिनिधि टीकम पारवानी ने आज 10 अप्रेल को आयोजित किए जाने वाले सिंधी भाषा दिवस पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि हिन्दी-सिंधी और संस्कृत का आपस में घनिष्ठ संबंध है। ट्रस्ट के तेजप्रकाश वलीरमानी व किशन सदारंगानी ने बताया कि चेटीचन्ड महोत्सव का समापन आज गोधूली वेला में झूलेलाल की पवित्र ज्योति को जलकुण्ड में विसर्जित कर किया गया।
आयोजन में दादी रूकमणी, पुनम टिकयानी, वर्षा लखानी और मातृ शक्ति मंडल की वरिष्ठ सदस्यों की भी सक्रिय भागीदारी रही।