बीकानेरNidarindia.com
‘कलकत्ते हालो गवरैयो री मौज्यों बीकानेर में…छोड़ ईसर गवरल रो दुपट्टो…गगन कोटा सूं गवरल उतर री हो बेरे हाथ कमल के रो फूल रे…सरीखे गणगौर गीतों के औजस्वी स्वर। नगाड़ों की ताल पर स्वर मिलते पुरुष।

यह नजारा था सोमवार रात को बीकानेर के भीतरी परकोटे का। अवसर था धुलंड़ी के दिन से बालि गणगौर के पूजन के बाद उसी रात से गणगौर गीतों की परम्परा का। बीकानेर में पुरुष मंड़लियां धुलंडी की रात से ही शहर में गणगौर गीतों की शुरुआत करते हैं। पहले एक पखवाड़े तक बालि गणगौर का पूजन होगा। इसके बाप धींगा गणगौर। शहर में अब गणगौर का पूजन की धूम रहेगी।
यहां शुरू हुए गीत…


भीतरी परकोटे में बारहगुवाड़ में पंडि़त जुगल किशोर ओझा(पुजारी बाबा) के सान्निध्य में बड़ी तादाद में आस्थावान लोगों ने गणगौर गीत गाए। यह सिलसिला अब धींगा गणगौर और बारहमासा गणगौर पूजन तक चलेगा। वहीं सूरदासाणी मोहल्ले में बीआर सूरदासाणी (बाबू पुरोहित) के सान्निध्य में गणगौर गीतों की शुरुआत हुई। इसमें भी बड़ी संख्या में पुरुषों की भागीदारी रही। भट्ठड़ों के चौक में भी गणगौर गीतों की शुरुआत हुई।
अब घर-घर गूंजेंगे…
धुलंडी को विधिवत शुरुआत करने के बाद अब शहर में आस्थावान लोग अपने घरों में मां गणगौर के गीतों का आयोजन करेंगे। इसमें अलग-अलग पुरुष मंड़लिया गीत गाएंगे।

