होली की रंगत : समाज की कुरीतियों पर किया कटाक्ष, चौमासा गीतों ने गुदगुदाया, उस्ताद जमनादास कल्ला की रम्मत देखने उमड़ा सैलाब, मां लटियाल का हुआ पदार्पण... - Nidar India

होली की रंगत : समाज की कुरीतियों पर किया कटाक्ष, चौमासा गीतों ने गुदगुदाया, उस्ताद जमनादास कल्ला की रम्मत देखने उमड़ा सैलाब, मां लटियाल का हुआ पदार्पण…

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रमेश बिस्सा

बीकानेरNidarindia.com
‘रूपियो रा है खेल निराला जावे सबरे माथे सू परबार है, सब कर रैया होडा होड, पुरानी छोड, नवी रीत लावे,प्री वैडिंग रे चक्कर में फुहडता फैलाव… समाज में व्याप्त कुरीतियों पर व्यंग्य कसते यह सटीक कटाक्ष गुरुवार को कीकाणी व्यासों के चौक में साकार हुए।

अवसर था उस्ताद जमनादास कल्ला की रम्मत के मंचन का। उस्ताद जमनादास कल्ला रम्मत कमेटी चौथानी ओझा चौक के तत्वावधान में रम्मत का मंचन बुधवार देर रात को शुरू हुआ। मंच पर सबसे पहले मध्य रात्रि को मां लटियाल माता का पदार्पण हुआ, तो पूरा चौक भक्तिमय हो गया। मां लटियाल के दर्शन करने के लिए आस्थावान लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा। माता की स्तुति, वंदन किया गया।

उसके बाद गीत संगीत का दौर चला। अल सुबह रम्मत के कलाकार मंच पर आए और ख्याल चौमासा गीतों के जरिए अपना संदेश दिया। इस बार रम्मत के तरकश में समाज की कुरीतियों पर व्यंग्य बाण तैयार किए गए थे। कलाकारों ने अपनी गायन शैली से लोगों को बांधे रखा।

चौमासा बरसे मूसलाधार…

‘चौमासा बरसे मूसलाधार पीयाजी थोरी है दरकार, खूब कमाया रुपिया थे तो, तड़पे घर री नार…मेघ अषाढ़ में बरसे, जोबण म्हारो झौला खाए… सरीखे चौमासा गीतों से माहौल में होली की मस्ती सी छाने लगी। रम्मत के कलाकारों ने पारम्परिक चौमासा गीतों की प्रस्तुति से विरह झेल रही नायिका के मन की बात को साकार किया। लोगों ने भी कलाकारों की जमकर हौसला अफजाई की।

कृष्ण-राधा ने खेली फूलों की होली…

 

रम्मत के अखाड़े में गुरुवार सुबह कृष्ण राधिका को फूलों की होली खेलाई गई। इसमें कृष्ण और राधा के स्वरूप धरे कलाकारों ने सभी का मन मोह लिया। रम्मत को लेकर कीकाणी व्यासों के चौक में मेले सा माहौल रहा।

इनकी रही भागीदारी…

उस्ताद जमनादास कल्ला रम्मत मे माता लटियाल का स्वरूप मानव देरासरी ने धरा। एडवोकेट मदन गोपाल व्यास के निर्देशन में रम्मत का मंचन बुधवार रात को शुरू हुआ जो गुरुवार सुबह तक चला। इसमें झम्मू मस्तान द्वारा रचित ख्याल, चौमासा की प्रस्तुतियां दी गई।

मदन गोपाल व्यास और उस्ताद कपिल देव ओझा के नेतृत्व में रामकिशन व्यास, श्याम सुन्दर ओझा, मुकेश कल्ला, शत्रुघ्न ओझा, रवि ओझा, प्रेम चूरा,गोविंद, मयूर, कान्हा, शरद,जुगल, भोले, मनोज, आशुतोष, परमेश्वर व्यास, प्रहलाद, मनमोहन ने भागीदारी निभाई। वहीं नगाड़ों पर बन्टी ओझा ने संगत की। इस अवसर पर कीकाणी व्यास ट्रस्ट के अध्यक्ष नारायण व्यास, काला महाराज, ब्रजेश्वर व्यास, गणेश व्यास व समस्त मोहल्लेवासी मौजूद रहे।

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