बीकानेरNidarindia.com
आचार्य रजनीश (ओशो) के समर्पित शिष्य स्वामी बिट्ठल कहा कि ध्यान, सत्संग आज की महत्ती जरुरत है। वे इन दिनों बीकानेर प्रवास पर है। उन्होंने इस दौरान ‘निडर इंडिया’ ने उनसे संक्षिप्त वार्ता की। स्वामी बिट्ठल ने बताया कि वे बीते 56 साल से ओशो से जुड़े हैं। कई बार उनके शिविरों में शामिल होने का अवसर मिला है। वहीं एक माह के लिए ओशो का पूर्ण सान्निध्य मिलने का सौभाग्य भी रहा है। जीवन के 72 बसंत देखे चुके स्वामी बिट्ठल ने बताया कि महज 24 साल की उम्र में ही उन्होंने पूना आश्रम में ओशो से सन्यास का प्रसाद ग्रहण कर लिया था।




यही वजह है कि ओशो की वाणी उनकी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने के लिए वे देशभर में भ्रमण कर रहे हैं। स्वामी बिट्ठल के अनुसार यह काम ओशो ने ही उन्हें सौंपा है, जिनकी आज्ञा से ही कर रहे हैं। ‘ओशो आनंद अभियान’ के संस्थापक स्वामी बिट्ठल मूल रूप से गुजरात के है लेकिन लंबे समय से मुम्बई में ही प्रवास कर रहे हैं। दूसरी बार बीकानेर आए स्वामी बिट़्ठल ने बताया कि जल्द ही बीकानेर के गाढवाला क्षेत्र में ओशो तपोवन आश्रम का पूर्ण रूप से स्थापित हो जाएगा।
इसके लिए अभी निर्माण कार्य चल रहा है। बीकानेर में प्रवास कर रहे उनके अनुयायी इस कार्य को मूर्त रूप देने में जुटे हैं। उन्होंने बताया कि बीकानेर में स्वामी संजय कश्यप, आचार्य राजेन्द्र जोशी सहित करीब ३०० सन्यासी बीकानेर में ओशो के अनुयायी है, जो समय समय पर ध्यान, प्रार्थना, सत्संग के शिविर लगाते रहते हैं।
स्वामी बिट्ठल भी इस बार बीकानेर में आयोजित एक ध्यान शिविर में भागीदारी निभाने के लिए बीकानेर आए हैं। स्वामी ने ओशो के साहित्य को आत्मसात कर चुके है। स्वयं भी कई पुस्तकें लिख चुके हैं। अब तक 500 से ज्यादा शिविरों में भागीदारी निभा चुके हैं। स्वामी बिट्ठल का मानना है कि वर्तमान युग में ओशो की विचारधारा प्रासंगिक है। भविष्य में भी यह बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि ओशो एक युग पुरुष ही थे, जिनके सम्पर्क में आने के बाद जीवन की धारा बदल जाती है।


By-Ramesh Bissa
