बीकानेरNidarindia.com
पुष्करणा समाज का सामूहिक सावे में आज एक साथ सैकड़ों शादियां होगी। दो साल से आने वाले इस सामूहिक विवाह समारोह को लेकर पूरा परकोटा मानो दुल्हन की तरह सजा है।




हर-गली मोहल्लों में शादी-विवाह की धूम है। आज शाम से लेकर देर रात तक पूरे शहर में ‘केसरियो लाडो जीवतो रे…की गूंज सुनाई देगी। माना पूरा परकोटा ही बराती बन जाएगा। हर गली की नुक्कड़ से एक बारात निकलेगी।
देररात तक निकलती रही गणेश परिक्रमा…
पुष्करणा सावे को लेकर समाज में गणेश परिक्रमा निकालने की परम्परा है। इसमें वेदमंत्रों के साथ दूल्हा-दुल्हन की अपनी-अपनी गणेश परिक्रमा निकाली जाती है। शनिवार को पूरे शहर में देर रात तक वेद मंत्रों की गूंज कानो में सुनाई दे रही थी। पहले कन्या पक्ष से गणेश परिक्रमा(छींकी) निकाली जाती है, इसके बाद दूल्हे के घर से छींकी निकलती है, जो दुल्हन के घर तक आती है। शहर में शनिवार को देर रात तक यह नजारा साकार हो रहा था।


पैदल-गाडियों पर निकली…
शहर के भीतरी परकोटे का नजारा शनिवार रात को देखते ही बन रहा था, हर गली से छींकी निकल रही थी। इसमें कोई ताशों के साथ नाचते-झुमते हुए जा रहे थे, तो कई गाडिय़ों में और कुछ तो बाइक पर ही गणेश परिक्रमा में निकल पड़े।
आज मायरा और खिरोड़े की रहेगी धूम..
आज सुबह से ही मायरा और खिरोड़ा की परम्परा निभाई जाएगी। बाराते शाम ढलने से पहले ही निकलनी शुरू हो जाएगी। विष्णु रूपी दूल्हे का सम्मान करने का रिवाज भी है, लेकिन जो सबसे पहले समय पर निकलेगा उसको सम्मान मिलेगा।
सैकड़ों साल पुरानी है परम्परा…
बड़े-बुजुर्गों का कहना है कि पुष्करणा समाज में सामूहिक विवाह समारोह की यह परम्परा सैकड़ो साल पुरानी है। इसमें समय-समय पर बदलाव भी हुए है। इसमें भागीदारी निभाने के लिए हर साल सैकड़ों परिवार कोलकाता, मुम्बई, दिल्ली, चैन्नई सहित अन्य महानगरों से बीकानेर आते हैं।
प्रवासियों में है उत्साह…
पुष्करणा समाज के सावे में शरिक होने के लिए बीकानेर आए कोलकाता प्रवासी समाजसेवी जेठमल रंगा ने बताया कि वो हर बार ही सावे पर बीकानेर आते हैं। जहां पर भले ही अपने परिवार-रिश्तेदारी में शादिया हो या ना हो समाज के इस महाकुंभ में शामिल होते है। प्रवासी पंडि़त राजगोपाल व्यास ने बताया कि वो इस बार अपने रिश्तदारी में होने वाले विवाह समारोह में शामिल होने के लिए आए हैं। प्रवासी एनडी व्यास, मनोज ओझा सहित लोगों में इस सावे को लेकर उत्साह है। वर्तमान में यह सावा दो साल के अन्तराल से आता है।
