बीकानेरNidarindia.com
‘नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल, हाथी दिजे-घोड़ा दिजे और दिजे पालकी…की जयघोष से गुुरुवार को जस्सूसर गेट बाहर स्थित तिरुपति अपार्टमेंट का राधा कृष्ण मंदिर गूंज उठा। अवसर था भागवत कथा में नंदोत्सव प्रसंग का। कृष्ण के जयकारों से पूरा पंडाल गूंज उठा।

भागवताचार्य डॉ.गोपाल नारायण व्यास ने पांचवें दिन की कथा में कृष्ण जन्म के प्रसंग की व्याख्या की। कथा में कृष्ण जन्म का व्याख्यान आते ही श्रद्धालुओं ने एक दूसरे को बधाइयां दी। थालियां बजाकर कर कान्हा के आने की खुशिया जताई। पूरा पंडाल नंद के आनंद भयो की करतल ध्वनि से गूंज उठा।
पंडि़त डॉ.गोपाल नारायण ने प्रसंग की व्याख्या करते हुए कहा कि दशम स्कन्द भगवान का हृदय है जब मनुष्य ईश्वर को अपने बुद्धि में विराजित कर उसका अनुभव करने लगता तब संसार के सारे बंधन टूट जाते वह भक्तिमय होकर परम पद को प्राप्त करता है। आनन्दित मन से सभी इन्द्रियों को भगवान के पास ले जाना और भक्तों के हृदय में सहज प्रेम को जगाना व संसार से अपनी चित्तवृत्ति को अनाशक्त करना ही नंदोत्सव है।

ईश्वर की आराधना करना ही मानव जीवन का उद्देश्य होना चाहिए। इस अवसर पर कृष्ण लीलाओं की झांकियां सजाई गई सभी भक्तों को प्रसाद व पंचामृत का वितरण किया गया। कथा के दौरान पंडित उपेन्द्र नारायण व्यास, पं.कुमार दत्त,प. दिव्यांशु व्यास, सीमा ने प्रसंगानुसार भजनों की प्रस्तुति दी।

