बीकानेर : व्यंग्य बाणों से ‘सम्पत’ ने बना दिया सभी को ‘सरल’, तेजनारायण के सुने तीखे कटाक्ष तो ‘बेचैनी हो गई दूर - Nidar India

बीकानेर : व्यंग्य बाणों से ‘सम्पत’ ने बना दिया सभी को ‘सरल’, तेजनारायण के सुने तीखे कटाक्ष तो ‘बेचैनी हो गई दूर

  • सीताराम भवन में चली व्यंग्य की बयार

  • गुदगुदाते रहे सुधी श्रोता

  • तालियां बजाकर किया कवियों का सम्मान, देखे वीडियो….

Ramesh bissa

बीकानेरNidarindia.com
‘सच है गन्ने का रस सूख जाए तो वो लाठी रह जाता है, तब हमारा जीवन कछुए की तरह था, आज हम खरगोश की तरह दौड़ रहे है, अर्थात भाग सब रहे है पर पहुंच कोई नहीं रहा…सरीखी पंक्तियां आज और बीते दिनों का फर्क समझा गई। गुरुवार रात को सीताराम भवन में कवि ‘सम्पत सरल’ ने ऐसी ही पंक्तियों से वर्तमान हालात पर ऐसे व्यग्यं बाण चलाए कि श्रोताओं ने भी तालियां बजाकर कवि का जमकर समर्थन किया। मौका था राजीव यूथ क्लब की ओर से आयोजित कवि सम्मेलन का।

इसमें सैकड़ों की तादात में पहुंचे सुधी श्रोताओं ने कविता की हर पंक्ति पर जमकर दाद दी और कवियों की हौसलाफजाई की। कार्यक्रम में जयपुर से आए ख्यातिनाम कवि सम्पत सरल और ग्वालियर के तेजनारायण बेचैन ने हास्य व्यग्य के ऐसे तीर चलाए कि श्रोता अपनी जगह से उठ ही नहीं पाए।

दोनों कवियों ने वर्तमान हालात, सोशल मीडिया, राजनीति, बदले परिवेश, मोबाइल की दुनिया सरीखे कई विषयों पर जमकर व्यंग्य कटाक्ष किए, तो श्रोता भी अपने आपका गुदगुदाने से रोक नहीं सके। कवियों ने लघु कथाओं में हास्य और व्यंग्य का तडक़ा लगाकर लोगों को हंसने-खिल खिलाने पर मजबूर कर दिया। कवि ने मन की बात से लेकर भ्रष्ट्राचार तक पर व्यंग्य से निशाना साधा।

कवि तेजनरायण बेचैन की एक बानगी देखिए
‘वैसे भी यह लोकतंत्र है, यहां पापियों के पाप को पाप नहीं कहते, और पुलिस वाले कितने भी मुसीबत में हो आम आदमी आप नहीं कहते…कवि ने वर्तमान हालात और राजनीति पर भी जमकर कटाक्ष किए।

सरकारें बदलेगी तो उनके लिए बोलेंगे
सम्पत सरल ने कहा कि वे किसी व्यक्ति विशेष पर नहीं बोलते है। वर्तमान में जो लोग सत्ता में उन पर बोलते है, आगे सरकारें बदलेगी तो उन पर कटाक्ष करेंगे। उनका तो काम ही यह हालात पर बोलना।

व्यंग्य आसपास ही होता है

कवि तेजनारायण बेचैन ने कहा कि व्यंग्य तो आसपास के माहौल, हालात को देखकर ही पैदा होता है। बस देखने वाली की दृष्टि पर निर्भर करता है।

सांस्कृतिक चेतना का आयोजन
दोनों कवियों ने आयोजन के लिए राजीव यूथ क्लब की सराहना की। कवियों ने कहा कि यह एक तरह की सांस्कृतिक चेतना का उद्देश्य है। आज के दौर में ऐसे कवि सम्मेलनों की आवश्यकता है।

अनुठी है बीकानेर की पाटा संस्कृति
कवि सम्पत सरल ने कहा कि आज लोक रंग, संस्कृति कहीं खो सी गई है। आज हर चीज का मार्केटिंग फंडा हो गया है। आम आदमी की दुनिया एक मुट्ठी में समा सी गई है, सोशल मीडिया क्या आया, लोग मोबाइल पर ही व्यस्त है। किसी के पास दूसरी चीजों के लिए समय ही नहीं है। उन्होनें कहा आपके शहर बीकानेर की पाटा संस्कृति आज भी कायम है, यह अच्छी बात है, जहां पर दोस्तों के साथ बैठकर हंसी-मजाक कर सकते हैं।

खुद सुधर जाए, देश सुधर जाएगा
कवि बेचैन ने कटाक्ष करते हुए कहा कि हिन्दुस्तान का कुछ नहीं बिगडऩे वाला, यहां साहित्य,कला, संस्कृति जिन्दा है। मैं खुद में सुधार कर लू, देश अपने आप सुधर जाएगा। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान जिन्दाबाद था, जिन्दाबाद है और जिन्दाबाद ही रहेगा। आयोजन को लेकर दोनों कवियों ने राजीव यूथ क्लब के अध्यक्ष अनिल कल्ला की सराहना की।

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