- तीन दिन तक लोगों ने लिया दर्शन लाभ
- शर्मा परिवार 1957 से कर रहा है मनोरथ,देखें वीडियो…
रमेश बिस्सा

बीकानेरNidarindia.com कृष्ण जन्माष्टमी पर इस बार भी शहर में दर्जनों झांकियां सजाई गई थी। यूं तो हर एक झांकी की अपनी महत्ता है। अपनी विशेषज्ञताएं है, लेकिन गोगागेट सर्किल पर रेवती रमण निवास पर इस बार सजी जन्मोत्सव की अदभुत झांकी ने हर किसी को अपनी ओर खींच लिया। यही वजह है कि यहां पर श्रद्धालुओं के लिए तीन दिन तक झांकी सजी रही।
एक ही छत के नीचे कई लीलाएं…
विराट स्वरूप धरे कृष्ण। गोपियों के साथ लीला। नौका विहार। हनुमानजी के साथ संवाद सहित पौराणिक कथाओं पर आधारित कई लीलाएं जो यहां पर सकार हो रही थी। भगवान कृष्ण की इतनी लीलाएं एक साथ देखकर हर प्रसंग को समझने की जिज्ञासा भी मन होने लगी। झांकियों को साकार रूप देने वाले रजनी रमण शर्मा ने प्रत्येक लीला की विशेषताएं बताई। हर कथा के पीछे के तर्क और उसके सार को समझाया।

यह लीलाएं हुई साकार
जन्माष्टमी की झांकी में यहां पर मानो जैसे पौराणिक कथाओं पर आधारित लीलाएं साकार हो रही थी। रजनी रमण शर्मा ने बताया कि इस बार विराट स्वरूप से प्रमुख अवतार,प्रलय के एकार्णव जल में मार्कण्डेय ऋषि को बाल कृष्ण के दर्शन, पौण्डक की सभा में हनुमान की चेतावनी, जरासंध की कैद से राजाओं की मुक्ति, गिरिराज को पुलस्त्य ऋषि का श्राप, द्रोपदी के आश्रम पर दुर्वासा का आगमन, गोपियों को बैकुंठ में राधा दर्शन, अर्जुन के रथ का दहन,गोलोक में कुंज, निकुंज और निभृत निकुंज, शंकर का कृष्ण दर्शन के लिए नंदभवन आगमन, चित्रा सखी का कृष्ण चित्रांकन, कृष्ण का मोती का पेड़ उगाना,नागनाथन लीला, गिरिराज .हनुमान संवाद, गणेश .तुलसी का परस्पर श्राप, द्वारका में चक्र का अभियान नष्ट होना, अक्रूर लीला, नौका विहार सहित लीलाओं का मध्य रात्री तक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए।
तीन माह से तैयारियां…
रजनी रमण शर्मा ने बताया कि झांकियों को साकार रूप देने के लिए बीते तीन माह से वो तैयारियों में जुटे थे। उन्होंने बताया कि 1957 में उनके पिता रेवती रमण शर्मा ने इन झांकियों की शुरुआत की थी। इसके बाद से प्रयास रहता है कि हर साल श्रेष्ठतक झांकियां सजाएं। इनमें ठाकुरजी की निज सेवा की छवि के दर्शन लाभ भी लोगों को कराए गए है। झांकियों के निर्माण में रजनी रमण शर्मा के साथ रामावतार शर्मा,श्वेतांग शर्मा सहित परिजनों का सहयोग रहा।

