रमेश बिस्सा

बीकानेरNidarindia.com
वर माला से लेकर पूजा की थाली तक फूलों से सजती है। फूलों की खुशबू से घर-आंगन महक उठते हैं।जीवन में फूलों का भी अहम महत्व है। यूं तो कई तरह के फूलों की किस्में बाजारों में आ रही है। कई स्थानों पर निजी नर्सरियां भी सजी है, जिनमें पोधों के साथ ही पुष्प भी मिलते हैं। लेकिन अब बीकानेर में पैदा होने वाले गैंदें और मोगरे की खुशबू से भी माला गूंथ कर पूजा की थाली में सजा सकते हैं। पानी की कमी से जूझ रहे किसानों के लिए फूूलों की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो सकती है। बीकानेर जिले में खाजूवाला, नोखा, देशनोक, नापासर में कई खेत गैंदे के फूलों की खुशबू से महक रहे हैं।
बीकानेर में पुष्प मालाएं बनाने के लिए गैंदा, मोगरा, गुलाब के फूल काम में लेेते है, यहां पर जयपुर, पुष्कर से ही पुष्प आते हैं। तो गंगानगर का गुलाब अपनी खास पहचान रखता है। एक बीघा में भी इसकी खेती आसानी से कर सकते हैं, जिनमें बहुत कम मात्रा में पानी की दरकार होती है।

कब करें बुआई
फूलों की खेती करने के लिए जल निकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए। इनकी बुआई के लिए सितंबर.अक्टूबर माह उपयुक्त है। किसान इस बात का ध्यान जरूर रखें कि इस फूल की बुआई के तुरंत बाद ज्यादा सिंचाई नहीं करें। दीपावली तक इनमें फूल भी आ जाएंगे। बीकानेर के खाजूवाला, नोखा, श्रीडूंगरगढ़, नापासर क्षेत्र में गैंदे के फूलों की खेती होती है। तो देशनोक क्षेत्र में मोगरा की खेती कर किसान अपना मुनाफा कम सकता है। बाजरों में अभी गैंदा 15 से 20 रुपए किलो बिक रहा है।
गंगानगर का गुलाब है खास
बीकानेर संभाग में श्रीगंगानगर में गुलाब की खेती होती है। खास यह है कि गंगानगर गुलाब कई तरह की विशेषताओं के कारण खास बन जाता है। गंगागनर के गुलाब का कलर और उसकी खुशबू हर किसी को अपनी ओर खींचती है। गंगानगर में गुलाब खेती का प्रचलन भी अधिक है। इसके अलावा प्रदेशभर में पुष्कर का गुलाब ही जाता है। आने वाले दिनों में बढ़ेगी मांग
गैंदे फूलों की मांग आने वाले दिनों बढ़ जाएगी। तीज.त्योहारों के साथ ही दीपावली पर मांग अधिक रहेगी। साथ ही चुनावों में भी गैंदे की मांग बढ़ेगी। चुनावों के दौरान पुष्प मलाओं की बिक्री बढ़ जाती है।
कम पानी की है फसल
किसान भाई अपने खेतों में फूलों की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते है। सबसे अहम बात यह है कि उनके लिए यह असान है। इसकी वजह यह है कि यह कम पानी में तैयार होने वाली फसल है। आम फसलों से से कम मात्रा में पानी की सिंचाई करने पर भी अच्छी पैदावार ली जा सकती है। साथ ही एक बार खेती होने पर दो माह तक इनका उत्पादन लिया जा सकता है।
डॉ.इंद्र मोहन वर्मा, बागवानी विशेषज्ञ, बीकानेर

