कला जगत : युवाओं ने साधे स्वर, शास्त्रीय गायन से बांधा समां, संगीत प्रतियोगिता में श्री शास्त्रीय कला मंदिर के युवाओं का सुयश - Nidar India

कला जगत : युवाओं ने साधे स्वर, शास्त्रीय गायन से बांधा समां, संगीत प्रतियोगिता में श्री शास्त्रीय कला मंदिर के युवाओं का सुयश

बीकानेरNidarindia.com ‘जा जा रे अपने मंदिरवा, मोरी गगरिया भरण दे रे,पैंयां परूं मैं तोरे कान्ह कुंवर…सरीखे शास्त्रीय संगीत की स्वर लहरियों से चौपड़ा स्कूल का परिसर गूंज उठा। मौका था ‘राजस्थान युवा महोत्सव’ के तहत शास्त्रीय संगीत गायन-वादन और नृत्य प्रतियोगिता के आयोजन का। ब्लॉक जिला स्तरीय प्रतियोगिता में श्री शास्त्रीय संगीत कला मंदिर के तीन युवाओं ने अपना परचम लहराया।

इसमें राघव स्वामी,यश पुरोहित,और विठ्ठल पारीक ने भागीदारी निभाई। प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पर ‘यश पुरोहित’ ने राग भीमपलासी में छोटा खयाल की बन्दिश ‘जा जा रे अपने मंदिरवा…तीनताल में निबद्ध आलाप, तान कायम रखकर बेहतरीन प्रस्तुति दी। दूसरे स्थान पर रहे राघव स्वामी ने राग यमन कल्याण में छोटे खयाल की द्रुत रचना ‘मोरी गगरिया भरण दे रे,पैंयां परूं मैं तोरे कान्ह कुंवर…दुरुत तानों के साथ सुनाया, तो श्रोताओं ने तालियां बजाकर हौसला अफजाई की। दोनों युवाओं ने अपनी गायकी से निर्णायकों को अभिभूत कर दिया।

तीसरी प्रस्तुति विठ्ठल पारीक ने राग हमीर की बन्दिश ‘लंगरवा कैसे घर जाऊं सुन पावे मोरी सास ननंदिया छांड दे मोहे… और सरगम की प्र्रस्तुति से समां बांध दिया। शास्त्रीय गायन में यश व राघव का राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के चयन हुआ है। श्री शास्त्रीय कला मंदिर के संचालक शास्त्रीय गायक पंडि़त एनडी रंगा ने युवाओं की सराहना की।

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