रमेश बिस्सा
बीकानेरNidarindia.com बारिश का दौर चल रहा है। ऐसे में सरकारी स्कूलों के पुराने भवन चिन्ता का कारण बन सकते है। क्योंकि कई स्कूल भवन ऐसे है जहां बूंदाबांदी होते ही छत से पानी टपकने लगता है। खुली जगह तालाब की शक्ल में बदल सकती है। प्लास्टर उखड़ा हुआ है। यह ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों के हालात है, लेकिन शहरी क्षत्र में कई स्कूल ऐसे है जिनको मरम्मत की दरकार है।
शिक्षामंत्री डा.बी.डी.कल्ला के जिले की एक स्कूल नहीं वरन पूरे जिले में 150 सरकारी स्कूलों के यही हाल है। खुद सरकार ने मानसून से पहले जिन असुरक्षित स्कूलों की सूची बनाई है। उनमें ये शामिल हैं।
स्कूल एक जुलाई को खुल चुके है। बारिश का दौर भी जारी है। ऐसी स्थिति में अब स्कूल भवनों को लेकर शिक्षा विभाग भी सतर्क हो गया है। भवनों के हालात कैसे है, कहां-कहां मरम्मत की दरकार है। इस सबको देखते हुए शिक्षा विभाग ने स्कूलों से बीते दिनों ऐसे प्रस्ताव मांगे थे। शिक्षा विभाग के समग्र शिक्षा शाखा को जिले से ऐसे 150 स्कूल ने प्रस्ताव बनाकर भेजे हैं। जिनमें मरम्मत कराने की बात उठाई गई है।
उखड़ रहा है प्लास्टर…
विभाग को मिली सूचियों में अधिकांश स्कूल ऐसे है जिनका प्लास्टर पुराना हो चुका है, जो अब उखडऩे लगा है। मरम्मत की आवश्यकता है। कई स्कूल ऐसे भी बताए जा रहे हैं, जिनकी छत्तों से पानी टपकने की समस्या सामने आ रही है। कइयों की दीवारों में दरारें आ रही है। फर्श भी क्षतिग्रस्त हो रहे है। छतों की टाइल्स पुरानी होने के कारण भी बारिश के समय पानी एकत्रित होने की समस्या सामने आ सकती है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने सभी प्रस्ताव को निदेशालय भेजे गए हैं। जहां से स्कूलों को बजट जारी किया जाएगा। इसके बाद स्कूल अपने स्तर पर मरम्मत का कार्य कराएगी।
गांवों के हालात बदतर…
ग्रामीण क्षेत्रों की स्कूलों की स्थित बदतर है। करणपुरा क्षेत्र की राप्रावि का भवन जर्जर हो रहा है। इसी तरह पूगल के थारुसर गांव की स्कूल भवन की स्थिति भी बदतर है। वहीं शहरी क्षेत्र से गंगाबाल विद्यालय, महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम मेघवालों का मोहल्ला, गाढ़वाला, लालमदेसर सहित ऐसे विद्यालयों की फेहरिश्त लंबी है।
बारिश मे होती है परेशानी…
जिन स्कूलों के भवन पुराने हो चुके हैं। उनमें बारिश के समय स्थिति विकट हो जाती है। पानी की पर्याप्त निकासी नहीं होने से परेशानी का सामना करना पडता है। इसी तरह जहां पर छत्ते क्षतिग्रस्त होने से पानी कई बार कक्षाओं में टपकने लगता है।
स्कूल खुलने से पहले दिए निर्देश…
“स्कूल खुलने से पहले जिले के सभी स्कूलों से रिपोर्ट मांगी थी। इसके लिए स्कूल प्रबंधन को निर्देश थे कि वो सुनिश्चित कर लें कि छतों की नालियां कचरे से तो नहीं अटी है, यदि ऐसा है तो पहले साफ.सफाई कराए। ताकि बारिश के समय पानी निकासी हो सके। इसके बाद ग्रामीण से लेकर शहर तक की स्कूलों के प्रस्ताव आए है।”
सुरेन्द्र सिंह भाटी, जिला शिक्षा अधिकारी, बीकानेर